कल बोरीवली में आयोजित एक समारोह में उत्तर मुंबई का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद शेट्टी ने कहा, सब किसानों की आत्महत्या बेरोजगारी और भुखमरी के कारण नहीं होती। एक फैशन सा चल निकला है। यह एक चलन हो गया है। शेट्टी ने कहा, यदि महाराष्ट्र सरकार मुआवजे के रूप में पांच लाख रूपये दे रही है तो पड़ोसी राज्य में कोई दूसरी सरकार सात लाख दे रही है। पहली बार सांसद बने शेट्टी ने कहा, किसानों को मुआवजे में धन देने के लिए इन लोगों के बीच होड़ लगी हुई है।
सांसद की टिप्पणियों की निंदा करते हुए कांग्रेस ने कहा कि शेट्टी की असंवेदनशील टिप्पणी किसानों के प्रति भाजपा की असंवेदनशीलता को दर्शाती है। एमआरसीसी के अध्यक्ष संजय निरूपम ने कहा, ऐसे समय में, जब महाराष्ट्र अब तक के सबसे बुरे कृषि संकट से गुजर रहा है, ऐसे में शेट्टी की टिप्पणी दिखाती है कि वह और उनका दल उन हजारों किसानों के प्रति कितने असंवेदनशील हैं, जिन्होंने कर्ज और फसल की बर्बादी के कारण आत्महत्या कर ली है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने दो दिन पहले ही बंबई उच्च न्यायालय को बताया था कि इस साल जनवरी से अब तक 124 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। उच्च न्यायालय ने केंद्र से पूछा था कि इस भयावह कृषि संकट से निपटने के लिए सरकार किस तरह की मदद उपलब्ध करा रही है? इसे एक गंभीर मुद्दा मानते हुए, न्यायाधीश नरेश पाटिल की अध्यक्षता वाली पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि वह उच्च न्यायालय को बताएं कि क्या केंद्र इस संकट से उबरने के लिए राज्य को योजनाएं एवं आर्थिक मदद उपलब्ध कराने में योगदान दे सकता है? महाधिवक्ता श्रीहरि एने ने पीठ को बताया था कि पिछले डेढ़ माह में 124 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, जिनमें से 20 मामले अकेले उस्मानाबाद से आए हैं।
उन्होंने कहा कि कम बारिश के कारण फसल बर्बाद होने, पीने के लिए और फसलों के लिए पानी की कम आपूर्ति, कर्ज चुकाने में असमर्थता और बैंकों एवं साहूकारों की ओर से डाले जाने वाले दबाव ने इन किसानों को आत्महत्या के लिए विवश किया।