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यूपी में पिता कंधे पर लादकर ले गया बेटे का शव

स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का आलम आज भी जस की तस है जबकि उत्तर प्रदेश की सत्ता अखिलेश सरकार से होकर योगी आदित्यनाथ के पास पहुंच चुकी है। इस दौरान सरकार बदलाव के तमाम बड़े दावे करे, लेकिन एक आम आदमी के द्वारा शव को अपने कंधे पर उठाकर ले जाना सभी दावों को ढेर करता दिख रहा है।
यूपी में पिता कंधे पर लादकर ले गया बेटे का शव

यह मामला सोमवार को इटावा के भीमराव अंबेडकर संयुक्त चिकित्सालय में सामने आया। जब एक पिता को अपने बेटे के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध नहीं हुई।

जानकारी के मुताबिक सिविल लाइन थाना क्षेत्र के विक्रमपुरा गांव का रहने वाला उदयवीर अपने 14 वर्षीय पुत्र पुष्पेंद्र को लेकर जिला अस्पताल पहुंचा। उसके पुत्र के पेट में दो दिन से दर्द हो रहा था। जब वह अस्पताल में इमरजेंसी में तैनात डाक्टर पीयूष त्रिपाठी के पास पहुंचा तो उन्होंने उसे देखकर बताया कि इसकी मौत हो चुकी है। उसके हार्ट व फेफड़े काम नहीं कर रहे थे। उदयवीर डाक्टर को दिखाने के बाद अपने पुत्र को कंधे पर लादकर अस्पताल परिसर के बाहर ले आया।

उदयवीर ने डॉक्टरों पर इलाज ना करने का भी आरोप लगाया है। उदयवीर ने कहा, ''डॉक्टरों ने मुझसे  कहा कि लड़के के शरीर में अब कुछ नहीं बचा है...उसके बस पैरों में दर्द था। डॉक्‍टरों ने मेरे बच्‍चे को बस चंद मिनट देखा और कहा कि इसे ले जाओ।''

पिता ने एंबुलेंस की मांग नहीं की: अस्पताल

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पिता ने एंबुलेंस की कोई मांग नहीं की और वह बिना बताए ही इमरजेंसी वार्ड से बाहर चला गया। आरोप है कि उसे एंबुलेंस की सुविधा अपने पुत्र को घर ले जाने के लिए नहीं दी गई। वह अकेला ही अपने पुत्र को अस्पताल के बाहर लाया और टेंपो में लादकर उसे अपने गांव ले गया। अस्पताल में तैनात चिकित्सक पीयूष त्रिपाठी का कहना है कि पुष्पेंद्र की जांच की गई थी। वह मृत अवस्था में आया था इसी बीच भरथना में बस दुर्घटना के यात्री आ गए जिसके कारण अस्पताल के लोग उसमें व्यस्त हो गए। उसने एंबुलेंस की मांग किसी से नहीं की और बिना बताए ही पुत्र को लेकर चला गया। उल्‍लेखनीय है कि गरीबों के लिए यह सेवा मुफ्त है।

गौरतलब है कि पिछले साल अगस्‍त में ओड़िशा के दीना माझी के द्वारा अपनी पत्नी के शव को कंधे लाद कर ले जाते देखा गया जिसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर बहुत आलोचना हुई थी। लेकिन ऐसी घटनाएं आज भी थमने का नाम नहीं ले रही है।

 

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