एलडीए के उपाध्यक्ष पीएन सिंह ने बताया कि प्रजापति को एक आवासीय प्लॉट दिया गया था और आवासीय नक्शा भी पास किया गया था लेकिन उस जमीन पर जिस भवन का निर्माण किया जा रहा था वह एलडीए द्वारा पास किये गये नक्शे के विपरीत था और नियमों का उल्लंघन किया जा रहा था। पीएन सिंह ने बताया कि इस तिमंजिला भवन का निर्माण व्यावसायिक उपयोग के लिए किया जा रहा था।
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गायत्री प्रजापति के अवैध निर्माण की बाबत 19 जून को उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी थी। कोर्ट के कठोर रुख को देखते हुए एलडीए ने प्रजापति के इस अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई की।