आगामी नगालैंड चुनाव को लेकर प्रचार में दोनों पार्टियों ने ताकत झोंक दी है। भारतीय जनता पार्टी अपने पुराने फार्मूले के तहत प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्रियों तक को प्रचार में लगाए हुए है। कांग्रेस और भाजपा जितना संभव है मतदाताओं को लुभाने में लगे हुए हैं। भाजपा ने अपनी हिंदूवादी छवि से आगे बढ़ कर ईसाइ मतदाताओं को लुभाने के लिए तुरुप का पत्ता फेंका है।
क्रिश्चियन बहुल इलाकों से मतों को पक्का करने के लिए भाजपा ने वादा किया है कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है तो बुजुर्ग ईसाइयों को मुफ्त यरूशलम ले जाया जाएगा। जबकि राहुल गांधी ने इसी यात्रा पर सब्सिडी देने का वादा किया है।
याद हो कि कुछ दिन पहले सरकार ने हज पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म की है। इस पर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही थी। कई लोगों का मानना था कि अब तक की सरकारें तुष्टिकरण के लिए ऐसा करती थीं। लेकिन अब ईसाईयों को मुफ्त येरुशलम यात्रा करवाने की बात तुष्टिकरण क्यों नहीं है?
भारतीय जनता पार्टी के शासन वाले मध्यप्रदेश में पहली बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुजुर्गों को मुफ्त तीर्थयात्रा योजना चलाई थी। यह योजना बहुत कारगर हुई और बाद में इसे कई राज्यों ने अपनाया। नगालैंड के ईसाई समुदाय के लिए यह बहुत बड़ी बात है कि वे बिना यात्रा व्यय के यरूशलम जा पाएं। यहां पर ईसा मसीह का जन्म हुआ था। ईसाइयों के लिए यह पवित्र स्थान है और उनका सबसे बड़ा तीर्थस्थल।
अगर ऐसा होता है तो भाजपा की हिंदुत्ववादी छवि से अलग लिबरल छवि भी बनेगी। नगालैंड में भारतीय जनता पार्टी वहां के क्षेत्रीय दल नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ रही है। मुफ्त यात्रा की घोषणा तब हुई है जब नगालैंड के बैप्टिस्ट चर्चों की सर्वोच्च संस्था नगालैंड बैपटिस्ट चर्च परिषद ने भाजपा को वोट न देने की अपील जारी की है।