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जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंद होने से प्रभावित हो रही है प्रेस की स्वतंत्रता : सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर क्षेत्र में प्रतिबंधात्मक आदेशों की समीक्षा...
जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट बंद होने से प्रभावित हो रही है प्रेस की स्वतंत्रता : सुप्रीम कोर्ट

शीर्ष अदालत ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर क्षेत्र में प्रतिबंधात्मक आदेशों की समीक्षा करने का निर्देश दिया है। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के हालातों पर दायर याचिका की सुनवाई की। जम्मू-कश्मीर में लगे प्रतिबंधों पर बात करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वहां क्षेत्र में संचार और इंटरनेट बंद होने से प्रेस की स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है।

इंटरनेट बंद होने से प्रेस की स्वतंत्रता खतरे में

कोर्ट की टिप्पणी के बाद मीडियाकर्मियों से बात करते हुए, वरिष्ठ वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, “जहां तक इंटरनेट शटडाउन का संबंध है, न्यायालय ने कहा कि इंटरनेट की स्वतंत्रता अपनी बात कहने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हिस्सा है इसलिए इसे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत संरक्षण दिया गया है। 

कई लोगों ने दायर की थी याचिका

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और कश्मीर टाइम्स की संपादक अनुराधा भसीन सहित कई याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में प्रतिबंधों को लेकर याचिका दायर की थी। जम्मू-कश्मीर में संचार, मीडिया और टेलीफोन सेवाओं पर लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती देते हुए धारा 370 को रद्द करने की अपील की गई है। याचिका अगस्त में केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के बाद दायर की गई थी। इसके बाद से ही वहां, फोन लाइनें और इंटरनेट बंद हैं।

इंटरनेट बंद होने से वहां के पत्रकारों को तो दिक्कत का सामना करना ही पड़ रहा है, साथ ही वह क्षेत्र दूसरी जगहों से कट गया है। वहां मीडिया पर भी प्रतिबंध है, जिसकी वजह से जम्मू-कश्मीर के सही हालात भी सामने नहीं आ पा रहे हैं। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा इसके बंद होने से प्रेस की स्वतंत्रता भी बाधित हो रही है।” इस मसले पर एक वकील का कहना है कि “संविधान अनिश्चित प्रतिबंध की अनुमति नहीं देता। अनिश्चितकाल के लिए इंटरनेट बंद करना शक्ति का दुरुपयोग है।”

पिछले साल अगस्त से है प्रतिबंध

वृंदा ग्रोवर ने बताया कि अदालत ने सात दिन के भीतर उस जगह की समीक्षा करने के आदेश दिए हैं क्योंकि अदालत का कहना है कि “प्रतिबंधात्मक आदेश उसके सामने नहीं रखे गए है। यह कानून में स्वीकार्य नहीं है।

जम्मू-कश्मीर में पिछले साल अगस्त से इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ है। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से लगाए गए कई प्रतिबंधों में इंटरनेट भी शामिल है। हालांकि सरकार ने कहा है कि उसने प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दी है।

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