भाजपा में गजेंद्र
गजेंद्र सिंह अपने चाचा गोपाल सिंह नांगल के साथ राजनीति में सक्रिय थे। नांगल प्रधान और सरपंच भी रह चुके थे। गजेंद्र ने बीजेपी के साथ राजनीति में पारी शुरु की। स्थानीय स्तर पर कुछ-कुछ करते रहते थे। चुनाव भी लड़ना चाहते थे। 2003 में जब बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया।
सपा और आप में गजेंद्र
गजेंद्र सिंह ने सपा के साथ आने के बाद 2003 का विधानसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उनको बीजेपी की अल्का सिंह ने हरा दिया। इके बाद भी वह राजनीति में डटे रहे। उन्होंने 2013 तक सपा में रहकर राजनीति की। इस दौरान गजेंद्र सपा जिलाध्यक्ष और प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य भी बने। 2013 में उन्होंने विधानसभा टिकट मिलने की आस से कांग्रेस में कूद गए। जब कांग्रेस में गजेंद्र सिंह की अनदेखी हुई तो वह आम आदमी पार्टी के करीब आ गए।
घरेलू कलह
कहा यह भी जा रहा है कि गजेंद्र सिंह घरेलू कलह से जूझ रहे थे और घर से निकाल दिए गए थे। गजेंद्र ने अपने सुसाइड नोट में भी यह लिखा है कि ‘ मेरे पिता ने मुझे घर से निकाल दिया है।‘ गजेंद्र के परिवार में उनके बड़े भाई की बेटी की शादी थी, लेकिन घर से निकाले जाने की वजह से वह दुखी थे।
साफा कारोबारी
गजेंद्र सिंह जयपुरिया साफे का कारोबार करते थे। उन्होंने देश-दुनिया के नामी लोगों को अपने हाथों से साफा पहनाया था, जिनमें बिल क्लिंटन, नेपाल के राष्ट्रपति परमानंद, मुरली मनोहर जोशी, अटल बिहारी वाजपेयी जैसी हस्तियां शामिल हैं। गजेंद्र सिंह इस कला में इतनी महारत रखते थे कि वो एक मिनट में 12 लोगों के सिर पर पगड़ी बांध देते थे। इसके अलावा गजेंद्र 33 तरह की पगडियां बांधने में निपुण थे। अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए उन्होंने बाकायदा वेबसाइट भी बनाई थी, तो फेसबुक जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी वो सक्रिय थे।