बिलासपुर हाईकोर्ट के अधिवक्ता अमरनाथ पांडेय ने बताया कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर उच्च न्यायालय की युगल पीठ में मंगलवार को सुकमा जिले के गोमपाड़ गांव के जंगल में कथित मुठभेड़ में मारी गई आदिवासी युवती मड़कम हिड़मे मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। न्यायालय ने मृतका हिड़मे के शव को कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम करने और आगामी सोमवार तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। पांडेय ने बताया कि मृतका के माता-पिता द्वारा शपथ-पत्र देने के बाद उच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि जनहित याचिका के स्थान पर इसे परिवार की याचिका मानकर मामले की सुनवाई की जाएगी।
अधिवक्ता पांडेय ने आज की कार्रवाई के बारे में बताया कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल की युगल पीठ में आज फिर सुनवाई हुई। न्यायालय ने निर्देश दिया कि मृतका मड़कम हिड़मे के परिजनों और अधिवक्ता की मौजूदगी में शव को कब्र से निकाला जाए। पीठ ने इस प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग कराने का भी आदेश दिया। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि जगदलपुर अस्पताल के के अधीक्षक, फॉरेंसिक टीम, परिवार के सदस्यों और अधिवक्ता के समक्ष विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम से शव का पोस्टमार्टम कराया जाए और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आगामी सोमवार तक न्यायालय में प्रस्तुत की जाए।
सुकमा जिले के कोंटा थाना के अंतर्गत गोमपाड़ गांव में करीब आठ दिनों पूर्व कथित मुठभेड़ में आदिवासी युवती मड़कम हिड़मे की मौत हुई थी। आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक संकेत ठाकुर ने हिड़मे को निर्दोष बताते हुए हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की थी। याचिका में पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने तथा दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। याचिका में जांच के लिए एसआईटी का गठन करने तथा शव का पोस्टमार्टम कराए जाने की मांग भी की गई थी जिससे गोमपाड़ मुठभेड़ का सच सामने आ सके। याचिका में मड़कम हिड़मे के परिवार को बीस लाख रूपए मुआवजा देने की मांग भी की गई है।