आज लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री संजय धोत्रे जब भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड और इंटरनेट सुविधा के आंकड़े गिना रहे थे तब नेशनल कांफ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने धोत्रे को ध्यान दिलाया कि कश्मीर घाटी में पिछले चार महीनों से इंटरनेट उपलब्ध नहीं है।
हालांकि धोत्रे ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया और आंकड़े बोलना जारी रखा। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड और इंटरनेट सुविधा के मुद्दे पर हसनैन मसूदी ने जब फिर कश्मीर घाटी में चार महीनों से इंटरनेट उपलब्ध न होने की बात कही तो अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह मामला इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के क्षेत्र में नहीं है। मसूदी ने इस पर हार नहीं मानी और उन्होंने कहा कि वे सिर्फ ब्रॉडबैंड और इंटरनेट सुविधा पर ध्यान आकृष्ट कर रहे हैं।
मसूदी का सवाल टाल गए धोत्रे
उन्होंने पूछा कि घाटी में कब तक यह स्थिति रहेगी और वहां यह सुविधा कब बहाल होगी। उनके प्रश्न पर सरकार का रुख देखते हुए लगा नहीं कि सरकार कश्मीर घाटी में इंटरनेट चालू करने को लेकर प्रतिबद्ध है। धोत्रे ने संक्षिप्त जवाब दिया कि सुरक्षा कारणों से कश्मीर में कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं। धोत्रे ने सिर्फ इतना कहा, “वहां की स्थिति में अब काफी सुधार है।” लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि कश्मीर में यह सुविधा कब बहाल होगी।
कश्मीर घाटी में 5 अगस्त के बाद से प्री-पेड मोबाइल फोन और सभी तरह की इंटरनेट सेवाएं निलंबित हैं। केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की घोषणा करने से एक रात पहले ही इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया था।
पूरे देश में इंटरनेट का जाल
हालांकि कश्मीर में इंटरनेट पर चुप्पी साधने के बाद मंत्री ने बताया कि फिलहाल मोबाइल वायरलेस तकनीकों के माध्यम से इंटरनेट का उपयोग किया जा रहा है, जो वर्तमान में देश की 95 प्रतिशत से अधिक आबादी को कवर करता है। उन्होंने बताया कि जून 2019 तक, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और ब्रॉडबैंड ग्राहकों की कुल संख्या क्रमशः 23.8 करोड़ और 20.3 करोड़ थी। धोत्रे ने कहा कि 2019 में टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स (टीएसपी) से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, अनुमान है कि देश के कुल गांवों 5,97,618 (जनगणना 2011 के अनुसार) में से 5,69,897 में मोबाइल सेवाएं हैं।
शेष गांवों में मोबाइल कवरेज सरकार और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा चरणबद्ध तरीके से प्रदान की जा रही है। देश में सभी ग्राम पंचायतों (लगभग 2,50,000) को ब्रॉडबैंड और इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए भारतनेट परियोजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।