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जम्मू-कश्मीर के अखबार में सरकार का विज्ञापन- फिर से दुकानें खोलने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू करने को कहा

जम्मू और कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को स्थानीय अखबारों में फ्रंट-पेज विज्ञापन जारी कर लोगों से दुकानें...
जम्मू-कश्मीर के अखबार में सरकार का विज्ञापन- फिर से दुकानें खोलने और पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू करने को कहा

जम्मू और कश्मीर सरकार ने शुक्रवार को स्थानीय अखबारों में फ्रंट-पेज विज्ञापन जारी कर लोगों से दुकानें खोलने और सार्वजनिक परिवहन को फिर से शुरू करने के लिए कहा। यह विज्ञापन तब जारी किया गया जब राज्य और केंद्र सरकार द्वारा घाटी में सब कुछ सामान्य होने का दावा किया जा रहा था, इसके बावजूद विज्ञापन जारी कर वहां सामान्य कामकाज फिर से शुरू करने को कहा गया। विज्ञापन में राज्य के लोगों से पूछा गया है कि अगर दुकानें बंद रहेंगी और पब्लिक ट्रांसपोर्ट सामान्य रूप से नहीं चलेंगे तो आखिरकार उससे फायदा किसे मिलेगा।

बता दें कि इससे पहले जब स्थानीय लोगों ने दुकानें खोलने की कोशिश की थी तो कुछ दुकानदारों पर आतंकी हमले भी हुए थे, जिसमें एक स्थानीय दुकानदार मारा गया था और कुछ जख्मी भी हुए थे। इसके बाद ऐसी खबरें भी आई थीं कि आतंकी घाटी में पोस्टर लगाकर लोगों को कर्फ्यू जैसा माहौल बनाए रखने की चेतावनी दे रहे हैं। शायद इसी के जवाब में अब सरकार ने लोगों को विज्ञापन के जरिए ये समझाने की कोशिश की है कि उन्हें सोचना चाहिए कि क्या आतंकियों के सामने घुटने टेक देंगे या फिर अपने मन से खौफ को मिटाकर कश्मीर की तरक्की में हाथ बटाएंगे।

5 अगस्त को जब सरकार ने अनुच्छेद-370 को निरस्त कर दिया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया, तो इसके बाद से यहां बंद जारी है और संचार माध्यमों पर पाबंदिया लगी हुई हैं। इसकी वजह से आम जनजीवन प्रभावित है। बाजार बंद हैं तथा सार्वजनिक परिवहन के साधन सड़कों से लगभग नदारद रहते हैं।

अनुच्छेद-370 को खत्म करने से पहले अधिकारियों ने सख्त प्रतिबंध लगाए

विरोध प्रदर्शनों के डर से, जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने से ठीक पहले, अधिकारियों ने सख्त प्रतिबंध लगाए और घाटी में हजारों अर्धसैनिक बलों को तैनात किया। सरकार ने कश्मीर घाटी और जम्मू के कुछ क्षेत्रों और जिलों में भी सेना की तैनाती की।

विज्ञापन में सरकार की लोगों से अपील- फिर से शुरू करें अपना कामकाज

जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को स्थानीय अखबारों में एक फुल पेज का विज्ञापन जारी किया, जिसमें लोगों से आग्रह किया गया है कि वे अपना सामान्य कामकाज फिर से शुरू करें, आतंकियों की धमकियों से बिल्कुल भी नहीं डरें। कश्मीर के लगभग सभी अख़बारों में प्रकाशित फुल पेज विज्ञापन में सरकार ने बंद के लिए आतंकवादियों और उनकी धमिकयों को जिम्मेदार ठहराया है।

सरकार ने स्कूलों-कॉलेजों को फिर से खोल दिया, लेकिन छात्र कक्षाओं में नहीं जा रहे

विज्ञापन में लिखा है, '70 वर्षों से जम्मू-कश्मीर के लोगों को गुमराह किया गया है। वे एक प्रोपेगैंडा के शिकार हुए हैं, जिसने उन्हें आतंकवाद, हिंसा, विनाश और गरीबी में फंसा दिया है। हालांकि सरकार ने स्कूलों और कॉलेजों को फिर से खोल दिया है, लेकिन छात्र कक्षाओं में नहीं जा रहे हैं। जबकि दुकानदारों ने अपनी दुकानों को सुबह और शाम खोलना शुरू किया और दिन में बंद रखा।

'क्या हम कुछ पोस्टरों और धमकियों से हमारे व्यवसायों को फिर से शुरू नहीं करेंगे

विज्ञापन में कहा गया है, 'हम आज जिस चौराहे पर हैं, क्या हम आज भी धमकियों और जबरदस्ती की आतंकियों की दशकों पुराणी रणनीति को चलने देंगे या फिर यह फैसला लेंगे जो हमारे लिए अच्छा होगा। यह निर्णय हमें लेना होगा। 'क्या हम कुछ पोस्टरों और धमकियों से हमारे व्यवसायों को फिर से शुरू नहीं करेंगे, क्या हम अपने लिए रोजगार नहीं कमाएंगे, क्या हम अपने बच्चों के लिए सुरक्षित भविष्य नहीं चुनेंगे, हम हमारे कश्मीर के विकास को खिलने नहीं देने देंगे।'

कश्मीर के लोगों को घाटी की भलाई के बारे में सोचना होगा

सरकार ने कहा कि कश्मीर के लोगों को घाटी की भलाई के बारे में सोचना होगा। यह हमारा घर है। हम इसकी भलाई और समृद्धि के बारे में सोचें। भय क्यों? पोस्टरों और धमकियों को लेकर विज्ञापन में सरकार का दावा है कि यह सिर्फ एक "कुछ पोस्टर" थे और कथित धमकियां थीं, जो लोगों को अपने व्यवसाय को फिर से शुरू नहीं करने दे रही थीं।

महबूबा मुफ्ती की बेटी ने साधा सरकार पर निशाना  

विज्ञापन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व मुख्य्मंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी ने उनके ट्विटर हैंडल के माध्यम से सरकार पर निशाना साधा था। ट्वीट में लिखा है, 'ग्रेटर कश्मीर के लिए एक फ्रंट पेज के विज्ञापन में राज्य व्यवस्थापक की दलील पर गौर करें। 5 अगस्त से बंद के बावजूद कश्मीरियों ने विरोध प्रदर्शनों के तोर पर सिविल कर्फ्यू का दृढ़ संकल्प लिए हैं. यदि सरकार वास्तव में लोगों की परवाह करती है, तो वह पहले टेलिकॉम प्रतिबंध हटाए।'

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