गुजरात में एक महिला कांस्टेबल का तब ट्रांसफर कर दिया गया जब उसने कोरोना वायरस के चलते राज्य में लगाए गए लॉकडाउन और रात के कर्फ्यू का उल्लंघन करने वाले एक विधायक के बेटे और उसके दो दोस्तों को रोक दिया था। यह मामला पिछले सप्ताह बुधवार का है।
दरअसल, कांस्टेबल सुनीता यादव ने सूरत में लॉकडाउन के दौरान स्वास्थ्य राज्य मंत्री कुमार कनानी के पुत्र प्रकाश कनानी और उसके दोस्तों को रोक लिया था। तीनों बुधवार को कर्फ्यू के दौरान ड्राइविंग कर रहे थे। इस दौरान तीनों के साथ गर्मजोशी से बहस करते हुए यादव का सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हो रहा है।
कांस्टेबल यादव के तबादले से बड़े स्तर पर विवाद शुरू हो गया है, सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कहा कि पुलिस राजनीतिक दबाव में फंसी हुई है। इस पूरे मामले और कांस्टेबल के ट्रांसफर के बाद मामले की जांच का आदेश दिया गया है। इस बीच, घटना का वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से सामने आने के एक दिन बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
ए-डिविजन के सहायक पुलिस आयुक्त सी के पटेल ने कहा कि प्रकाश कनानी और उसके दो दोस्तों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 269, 270 और 144 के तहत मामला दर्ज किया गया है। पटेल ने कहा कि बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
महिला कॉन्स्टेबल ने आरोप लगाया था कि रात्रि कर्फ्यू के दौरान जब उन्होंने कुछ लोगों को रोका तो उन्होंने उन्हें धमकी दी थी। इसके बाद सूरत के पुलिस आयुक्त आर बी ब्रह्मभट्ट ने शनिवार को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। सुनीता ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन आदेशों का उल्लंघन करने के लिये बुधवार को रात्रि कर्फ्यू के दौरान करीब साढ़े 10 बजे प्रकाश कनानी के दोस्तों को रोका था। इसके बाद दोस्तों ने प्रकाश कनानी को बुलाया, जो अपने पिता की कार में आया और कथित रूप से सुनीता से बहस करने लगा।
इस बहस की ऑडियो और वीडियो क्लिप शनिवार को वायरल हो गई। ऑडियो क्लिप में उसे कॉन्स्टेबल से यह कहते हुए सुना जा सकता है कि हम चाहें तो तुम्हें 365 दिन इसी जगह खड़ा रखवा सकते हैं। इस पर कांस्टेबल चिल्लाकर कहती है वह तुम्हारे पिता की गुलाम या नौकर नहीं है, जो उसे 365 दिन यहां खड़ा रखवा सकें। इस बीच पटेल ने कहा कि कॉन्स्टेबल सुनीता यादव बीमारी की छुट्टी पर चली गई हैं और मामले की जांच जारी है। कहा जा रहा है कि उन्होंने इस्तीफे की भी पेशकश की है।