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एएमयू विवाद: राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र से कहा, ‘कश्मीरी छात्रों की पढ़ाई हो सुरक्षित’

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्रों और प्रशासन के बीच जारी गतिरोध पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल...
एएमयू विवाद: राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने केंद्र से कहा, ‘कश्मीरी छात्रों की पढ़ाई हो सुरक्षित’

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्रों और प्रशासन के बीच जारी गतिरोध पर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से हस्तक्षेप कर यह सुनिश्चित करने को कहा है कि यूनिवर्सिटी में कश्मीरी छात्रों को पढ़ाई में कोई परेशानी न हो। राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने छात्रों को लेकर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर तारिक मंसूर से भी अपनी चिंता व्यक्त की।

समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और वीसी तारिक मंसूर को संबोधित करते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा है कि कश्मीर से आने वाले छात्र अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें, इसके लिए उन्हें सुरक्षित और अध्ययन अनुकूल माहौल उपलब्ध कराया जाए।

गौरतलब है कि यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले कश्मीर के करीब 1200 छात्रों ने, अपने कुछ साथियों पर देशद्रोह का केस न हटाए जाने के कारण अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ने की धमकी दी है।

आतंकवादी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने का है आरोप
एएमयू में पढ़ने वाले कश्मीरी छात्रों ने हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी मन्नान बशीर वानी की नमाज-ए-जनाजा पढ़ने की कोशिश की थी और देश विरोधी नारे लगाए थे जिसके बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन ने तीन छात्रों पर देशद्रोह का मामला दर्ज कराया था। कश्मीर के ये 1200 छात्र उन्हीं तीन साथियों पर दर्ज देशद्रोह का मुकदमा वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं।

यहां आपको बता दें कि हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी मनन वानी को सुरक्षाबलों ने कश्मीर के हंदवाड़ा में मुठभेड़ में मारा गिराया था। वह एएमयू में पीएचडी का छात्र था। पिछली जनवरी में उसने सोशल मीडिया पर एके-47 रायफल के साथ अपनी तस्वीर डाली थी, जिसके बाद उसे यूनीवर्सिटी से निष्कासित दिया गया था।

इस गतिरोध पर एक दिन पहले ही राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा था कि ‘‘युवाओं के सामने कोई राह नहीं छोड़ने का उल्टा असर होगा। छात्रों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने के लिए केंद्र को हस्तक्षेप करना चाहिए और एएमयू के अधिकारियों को उनका निलंबन निरस्त करना चाहिए। जम्मू कश्मीर से बाहर की सरकारों को स्थिति के प्रति ‘‘संवेदनशील’’ होना चाहिए तथा ‘‘आगे और अलगाव पैदा होने को रोकना चाहिए।’’

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