पेशेवर और खूंखार अपराधियों पर अंकुश लगाने के लिए हरियाणा में भी महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर हरियाणा संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (हरकोका) लागू किया जाएगा। इसकी घोषणा आज हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की।
अभी राज्य में पंजाब पुलिस नियम 1934 प्रभावी
राज्य में लंबे समय से संगठित अपराध पुलिस के लिए परेशानी बना हुआ है। इसलिए हरकोका लागू करने का फैसला लिया गया है। इस नए कानून को लागू करने से पहले महाराष्ट्र और दिल्ली में लागू कानून की भी समीक्षा की जाएगी। महाराष्ट्र में 1999 में और दिल्ली में 2002 में यह कानून लागू किया गया था। अभी तक हरियाणा पुलिस पंजाब पुलिस नियम 1934 के तहत काम कर रही है।
कड़े कानून की आवश्यकता पर सवाल भी
हरकोका कानून बनने से पहले ही इस पर कई तरह के सवाल भी उठ चुके हैं। इसके पीछे तर्क यह है कि क्या हरियाणा में इतने हार्डकोर क्रिमिनल्स हैं जिनके लिए ऐसा कठोर कानून बनाना पड़े। जबकि पड़ोसी प्रदेश पंजाब जहां पहले आतंकवाद रह चुका है, वहां भी ऐसा कानून लागू नहीं है। राजस्थान में कई साल पहले इस तरह के कानून की बात चली थी, लेकिन लागू नहीं हो पाया।
महाराष्ट्र में पुलिस के पास ज्यादा अधिकार
महाराष्ट्र सरकार ने अंडरवर्ल्ड के खूंखार अपराधियों से निपटने के लिए 1998-99 में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट (मकोका) लागू किया था। इससे पहले वहां टाडा और पोटा जैसे कानून लागू थे। इसमें पुलिस के पास ज्यादा पावर हैं। अगर कोई अपराधी पुलिस उपायुक्त या उससे वरिष्ठ पुलिस अफसर के सामने अपना जुर्म कबूल कर लेता है तो कोर्ट में उसकी स्वीकारोक्ति सबूत के तौर पर मानी जा सकती है। इसके बाद पुलिस कोर्ट के आदेश पर ऐसे अपराधियों की संपत्ति भी जब्त कर सकती है। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में इस कानून को लागू किया गया।