केरल सरकार ने हरिजन और दलित शब्द के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। राज्य एसटी/एससी आयोग की सिफारिश का हवाला देते हुए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इस संबंध में सर्कुलर जारी किया है। आधिकारिक कार्यों और प्रचार-प्रसार में दोनों शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने की अपील सभी विभागों से की गई है।
इन शब्दों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर विभिन्न सरकारी महकमों में चल रही बहस के बीच यह सर्कुलर आया है। इसमें दलित/हरिजन शब्दों की जगह एससी/एसटी शब्द का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया है। हालांकि इस मामले में अंतिम आदेश लोगों से बात करने के बाद ही आएगा।
राज्य एसटी/एससी आयोग के अध्यक्ष जस्टिस पीएन विजय कुमार के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया है कि इन शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की सिफारिश आयोग ने उन सामाजिक भेदभाव को खत्म करने के लिए की थी जो आज भी कई जगहों पर हो रहे हैं। लेकिन, दलित आंदोलनकारियों को सरकार का यह फैसला रास नहीं आ रहा है। वे इसे दलित राजनीति के उभार को रोकने की कोशिश बता रहे हैं। दलित कार्यकर्ता अजय कुमार ने बताया कि वे सरकार के इस कदम को स्वीकार नहीं कर सकते। दलित संबोधन उन्हें अपमानजनक नहीं लगता, क्योंकि यह उन्हें एक सामाजिक-राजनीतिक पहचान देता है। उन्होंने कहा कि यह फैसला ऐसे वक्त में किया गया है जब राज्य में दलित आंदोलन तेजी से आगे बढ़ रहा है।