अनिल विज ने अंबाला में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, "गांधीजी ने कोई खादी का ट्रेडमार्क तो करा नहीं रखा है। पहले भी कई बार उनकी तस्वीर नहीं लगी है। " हालांकि उनके बयान की आलोचना होने के बाद अनिल विज ने ट्वीट कर कहा कि वो अपना बयान वापस लेते हैं। यह पूछे जाने पर कि अगर ऐसा है तो नए नोटों पर भी भाजपा सरकार ने गांधी की तस्वीर क्यों छापी, विज ने कहा कि धीरे-धीरे वहां से भी गांधी हट जाएंगे।
इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए गांधीजी के परपोते तुषार गांधी ने कहा कि यह बयान बचकाना है। हालांकि तुषार ने कहा कि वह भी चाहते हैं नोट से गांधी जी हट जाएं, क्योंकि कालेधन और भ्रष्टाचार के मामलों से नोटों पर गांधीजी की छवि खराब ही होती है। अनिल विज के बयान के बाद विपक्षी दलों ने इसको लेकर भाजपा पर हमला बोला। विज के बयान की निंदा करते हुए कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि गोडसे के वंशज भाजपा के नेताओं से इसी प्रकार के बेतुके बयान की अपेक्षा करनी चाहिए। खादी इस देश की पहचान है। भाजपा की मोदी सरकार दवाब की राजनीति का सूचक बन गई है। मोदी जी खुद गांधीजी से बड़ा साबित करने की नई लाइन खींचने में लगे हैं। बापू का नाम हटाना हो या धूमिल करना हो, गांधी इस देश की आत्मा हैं, आत्मा को कभी शरीर से अलग नही किया जा सकता। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने कहा है कि ये भारत के नालायक बेटे हैं, जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को अपमानित कर रहे हैं। ऐसे लोगों को थोड़ा सी भी शर्म नहीं है। इस मंत्री का दिमागी संतुलन बिगड़ गया है।
भाजपा ने इस पर सफाई देते हुए इसे विज का निजी बयान करार दिया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री एमएल खट्टर ने कहा कि ये अनिल विज का निजी विचार हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता विज ने किन संदर्भों में उन्होंने यह बात कही। जहां तक रुपए का मूल्य गिरने की बात है, इसके लिए कांग्रेस की नीतियां जिम्मेदार हैं न कि महात्मा गांधी। पार्टी का अनिल विज के बयान से कोई लेना देना नहीं है।