दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति जी रोहिणी और न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा, अगर यह नीतिगत निर्णय है तो इस बारे में सरकार विचार करेगी। हम अनुच्छेद 226 (कुछ रिट जारी करने के उच्च न्यायालय के अधिकार) के तहत इस पर कैसे सुनवाई कर सकते हैं। पीठ ने कहा कि इस रिट याचिका में हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते। इसे खारिज किया जाता है। यह ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर यह अदालत अनुच्छेद के तहत विचार करे। यह जनहित का मामला नहीं है। याचिका में आतंकवादी गतिविधियों से खतरे के आधार पर राजधानी में सार्वजनिक स्थलों जैसे परिवहन, सरकारी इमारतों एवं धरोहर स्थलों पर बुर्का, हेलमेट और हुड जैसे चेहरे को ढकने वाले तरीकों पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
सरदार रवि रंजन सिंह की इस याचिका में कहा गया है कि चेहरे और पूरे शरीर को ढकने वाले आवरण का उपयोग सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा है और नागरिकों को खतरे तथा डर की स्थिति में डालता है जो कि संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन एवं निजी छूट की सुरक्षा) का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया कि आतंकवादी गतिविधियों में तेजी से वृद्धि हो रही है और इन आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले बुर्का के प्रति कोई सम्मान नहीं रखते तथा फिदायीन हमले करने में इसका बेरहमी से उपयोग करते हैं। याचिकाकर्ता ने जम्मू-कश्मीर के उड़ी में हुए हालिया हमलों का संदर्भ देते हुए कहा कि राजधानी में लोगों की सुरक्षा और सरकारी कार्यालय लगातार खतरे में हैं। केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को पक्ष बनाने वाली इस याचिका में कहा गया कि घूंघट, बुर्का आदि का उपयोग सीमा जांच चौकियों में पहचान छिपाने के लिए किया जा सकता है।