अभिनेत्री हेमा मालिनी को यह जमीन सन 1997 में आवंटित की गई थी जिसे वह सीआरजेड के अधीन होने के कारण विकसित नहीं कर पाई थी लेकिन उन्होंने जमीन राज्य सरकार को वापस भी नहीं की।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा दायर आवेदन के जवाब में यह जानकारी दी गई है। उन्होंने सूचना का अधिकार कानून के तहत बाहरी मुंबई के कलेक्टर के पास दायर आवेदन में जानना चाहा था कि हेमा मालिनी को आवंटित जमीन और इस संबंध में किए गए पत्राचार की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई जाए। गलगली ने अपने आवेदन में सवाल उठाया, ‘सबसे पहले तो सरकार ने भाजपा सांसद द्वारा संचालित एक संस्था को बहुत ही सस्ती दर में एक महत्वपूर्ण जमीन सौंप दी, जिस पर सवाल उठाया जाना लाजिमी है। दूसरा हेमा को पहले दी गई जमीन यह जमीन सौंपने से पहले वापस ली जानी चाहिए। महाराष्ट्र कोई अमीर राज्य नहीं है, हमारे राज्य में तीन लाख करोड़ रुपये के कर्ज बोझ तले डूबे किसान आत्महत्या कर रहे हैं। इतनी सस्ती दर पर उन्हें जमीन बेचना कैसे जनहित में हो सकता है।’
आरटीआई दस्तावेज दर्शाता है कि बाहरी मुंबई के कलेक्टर ने अब हेमा मालिनी को पुरानी जमीन वापस करने के लिए कहा है और उन्हें नई जमीन सौंपने से पहले कुछ शर्तें भी रखी है। अभिनेत्री को लिखे पत्र में कलेक्टर ने कहा है कि आपने 18.5 करोड़ रुपये की डांस अकादमी खोलने की बात की थी इसलिए सरकारी नियमों के मुताबिक आपको जमीन का आवंटन पाने से पहले सरकार के पास अपनी परियोजना लागत के 25 प्रतिशत खर्च का ब्योरा देना होगा। हालांकि अभिनेत्री ने सिर्फ 3.50 करोड़ रुपये का प्रमाण ही सौंपा है जो 25 प्रतिशत खर्च से कम ही है।