सालोदिया ने कहा कि दलित होने के कारण उन्हें प्रताड़ित किया गया इसलिए उन्होंने इस्लाम अपनाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि इस्लाम में ऊंच-नीच का भेदभाव नहीं है। उन्होंने भारतीय संविधान में प्राप्त मूलभूत अधिकारों के तहत धर्म-परिवर्तन किया है।
जयपुर में एक संवाददाता सम्मेलन में धर्म परिवर्तन की घोषणा करते हुए सालोदिया ने कहा कि अब उनका नाम उमराव सालोदिया नहीं बल्कि उमराव खान होगा। एक दलित अधिकारी होने के कारण उनकी अनदेखी की जा रही है। इस प्रताड़ना से आहत होकर उन्होंने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अपनी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन भेज दिया है। इस सिलसिले में वह भारत सरकार को भी पत्र भेज रहे हैं।
सालोदिया ने पुलिस के कामकाज पर अफसोस जताते हुए कहा कि उनके खिलाफ कई गलत शिकायतें करने वाले एक सेवानिवृत जिला अधिकारी के खिलाफ उन्होंने जयपुर के एक थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था लेकिन पुलिस ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा, जब मेरे मामले में यह स्थिति है तो आम आदमी, दलित की क्या स्थिति होगी।
गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने मौजूदा मुख्य सचिव सीएस राजन को तीन माह का सेवा विस्तार दिलाया है। सालोदिया इसी बात से नाराज हैं। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने कहा कि पहली बार कोई दलित अफसर राजस्थान का मुख्य सचिव बन रहा था, वह वरिष्ठता क्रम में सबसे ऊपर थे लेकिन मौजूदा सीएस को तीन माह का एक्सटेंशन दे दिया गया। राजन को दिए गए एक्सटेंशन के कारण उन्हें मुख्य सचिव बनने का मौका नहीं मिला।
1978 बैच के आईएएस अधिकारी उमराव सालोदिया के साथ भेदभाव के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए राजस्थान सरकार के वरिष्ठ मंत्री राजेंद्र राठौड ने उनके खिलाफ कार्रवाई के संकेत दिए हैं। राठौड़ ने कहा कि भारतीय सेवा आचरण नियम 1968 नियम सात के तहत पद पर रहते हुए सार्वजनिक तौर पर या संवाददाता सम्मेलन के माध्यम से सरकार की नीति और रीति की आलोचना नहीं कर सकते हैं। सेवानिवृति से छह माह पहले इस तरह के मिथ्या आरोप लगाना उन्हें शोभा नहीं देता।