गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले 6 दिनों में कथित तौर पर 63 बच्चों की मौत हो चुकी है। ऑक्सीजन की कमी को बच्चों की मौत की वजह बताया जा रहा है, हालांकि उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन ने इससे साफ इनकार किया है। गोरखपुर के जिलाधिकार भी बच्चों की मौत की सही वजह बताने की स्थिति में नहीं हैं। उन्हें जांच रिपोर्ट का इंतजार है। अस्पताल प्रशासन ऑक्सीजन की वजह से बच्चों की मौत के दावे को पहलेे ही खारिज कर चुका है।
इधर, दिल्ली में शुक्रवार को गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि गोरखपुर के पुलिस अधीक्षक से मिली जानकारी के अनुसार, "लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी की वजह से पिछले 36 घंटों में 21 बच्चों की मौत हुई है। वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंच चुके हैं और स्थानीय प्रशासन के जरिए मौतों की सही वजह की पुष्टि की जा रही है।"
बच्चों की मौत के इस मामले में केंद्र और राज्य सरकार की ओर से आए बयानों में अंतर साफ दिख रहा है। यूं तो इंसेफेलाइटिस या दिमागी बुखार का कहर पूर्वी यूपी में हर साल हजारों बच्चों की जान लेता है। लेकिन यूपी के एक बड़े मेडिकल कॉलेज का यह मामला जन स्वास्थ्य से खिलवाड़ और सरकारी इंतजामों की पोल खोलता हैैै।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, शनिवार सुबह तक बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत का आंकड़ा 63 तक पहुंच गया है। अस्पताल में अभी भी लिक्विड ऑक्सीजन की कमी है, जबकि अस्पताल प्रशासन इस मामले पर बात करने से बच रहा है।
बकाया भुगतान की वजह से रूकी ऑक्सीजन!
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के अनुसार, बीआरडी मेेेेडिकल कॉलेज पर ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का 70 लाख रुपया बकाया है, जिसकी वजह से कथित तौर पर ऑक्सीजन की आपूर्ति रोक दी गई। राज्य सरकार ने इन आरापों से इनकार करते हुए बच्चों की मौत के लिए विभिन्न कारणों को जिम्मेदार ठहराया है।
मीडिया के पास ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी का मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को लिखा पत्र है, जिसमें भुगतान न होने की बात कही गई है। ऑक्सीजन का जिम्मा संभालने वाले कर्मचारियों ने भी 10 अगस्त को पत्र लिखकर ऑक्सीजन की कमी और पिछला भुगतान न होने के कारण कंपनी द्वारा ऑक्सीजन आपूर्ति से इनकार किए जाने की जानकारी अस्पताल प्रशासन को दी थी।
भुगतान की वजह से ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने के सवाल पर गोरखपुर के जिलाधिकारी ने बताया कि उन्हें 70 में से 35 लाख रुपये का भुगतान किए जाने की जानकारी मिली है। इस बीच ऑक्सीजन आपूर्ति शुचारू करने के लिए कदम उठा लिए गए हैं और कंपनी का भुगतान करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
उधर, ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कंपनी पुष्पा सेल्स ने बकाया भुगतान के बारे में अस्पताल प्रशासन को पहले ही सूचित कर दिया गया था। कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक, 10 लाख रुपये से ज्यादा बकाया होने पर ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं होगी।
रोजाना कई बच्चों की मौत
गोरखपुर के जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने शुक्रवार को कहा था कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पिछले दो दिनों में 30 बच्चों को मौत हुई है। इनमें से 17 बच्चों की मौत नवजात शिशु वार्ड में, 5 की मौत इंसेफेलाइटिस वार्ड (AES) और 8 जनरल वार्ड में मरे थे। अस्पताल के डॉक्टरों के हवाले से उन्होंने दावा किया है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक, 7 अगस्त को 9 बच्चों, 8 अगस्त को 12 बच्चों और 9 अगस्त को 9 बच्चों की मौत हुई थी। लेकिन अचानक 10 अगस्त को बच्चों की मौत का आंकड़ा 23 हो गया।
मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
बच्चों की मौत पर अफसोस जाहिर करते हुए उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पीटीआई को बताया कि इस मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने ने भी इन मौतों के पीछे ऑक्सीजन की कमी से इनकार किया है।
योगी सरकार को घेरने में जुटे विपक्षी
अस्पताल की लापरवाही और बच्चों की मौतों के मुद्देे पर विपक्षी दल योगी सरकार को घेरने में जुट गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने इस हादसे पर दुख जताया है। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने इस मुद्दे पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर समेत कई नेता आज गोरखपुर पहुंच रहे हैं।
Deeply pained.My thoughts are with the families of the victims.BJP govt is responsible & should punish the negligent,who caused this tragedy https://t.co/rdwDJblJEj
— Office of RG (@OfficeOfRG) August 11, 2017
गोरखपुर मे आक्सीजन की कमी से बच्चों की दर्दनाक मौत , सरकार ज़िम्मेदार।कठोर कार्यवाही हो, 20-20 लाख का मुआवज़ा दे सरकार ।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) August 11, 2017