केरल में जाति और धार्मिक समूहों को अपनी तरफ खींचने की होड़ सी लगी हुई है। भाजपा और कांग्रेस तो इस काम में शुरू से माहिर रहे हैं। अब इसी में माकपा भी शामिल हो गई है।
माकपा के राज्य सचिव के. बालाकृष्णन ने कैथोलिक चर्च के आर्कबिशप मार एंड्रूस थाजहथ की मुलाकात को इसी कवायद के तौर पर देखा जा सकता है। केरल में माकपा का अच्छा वोटबैंक एरवा समुदाय में है और इस समुदाय के धर्मगुरुओं को अपनी तरफ खींचने के लिए भाजपा ने पूरा जोर लगा दिया है। ऐसे में विधानसभा चुनावों से पहले माकपा की कैथोलिक चर्च के मुखिया से मुलाकात को अहम समझा जा रहा है।
माकपा के केरल से सांसद एम. राजेश ने आउटलुक को बताया कि उनकी पार्टी सभी संप्रदायों, धार्मिक समूहों को एक समान देखती है। सभी से मुलाकात की इच्छुक रहती है। इस मुलाकात को भी एक सामान्य मुलाकात के तौर पर देखा जाना चाहिए।
हालांकि माकपा के इस कथन को कोई भी इस तरह से नहीं ले रहा है। के. बालाकृष्णन ने इस पर कहा कि हम सामान्य प्रक्रिया के तहत महत्वपूर्ण लोगों से मिलते हैं। हमें समाज के सभी से सौहार्दपूर्ण रिश्ते बनाकर रखने पड़ते हैं। दरअसल कुछ समय पहले माकपा के चर्च से तनावपूर्ण रिश्ते हो गए थे और यह आशंका जताई जा रही थी कि उन चुनावों में माकपा इसाइयों का समर्थन खो सकती है। विधान सभा के 16 मई को होने वाले चुनावों के मद्देनजर इस तरह की बैठकों का सिलसिला तेज हो गया है। दरअसल, कुछ साल पहले कैथोलिक चर्च ने फीस को लेकर माकपा सरकार और नेतृत्व से टकराव हो गया था। उसके बाद से दोनों के बीच रिश्ते तल्ख हो गए। यह टकराव माकपा के केरल प्रभारी पी. विजयन से हुआ था और दोनों तरफ से शब्दों के बाण खूब चले थे। भाजपा जिस तरह से धर्म और जाति समूहों का ध्रुवीकरण कर रही हैं, उसमें माकपा और कांग्रेस दोनों की पेशानी पर बल डाल दिया है।