नीतीश कुमार शुक्रवार यानी 20 नवंबर को बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर तीसरी बार शपथग्रहण करने जा रहे हैं। इस मौके पर लगभग सभी राज्यों के गैर-भाजपाई या गैर-राजग मुख्यमंत्रियों ने शामिल होने पर अपनी सहमति जताई है। द्रमुक प्रमुख करुणानिधि चूंकि अपनी बीमार पत्नी के कारण समारोह में शामिल नहीं हो पाएंगे इसलिए वह अपने बेटे और पार्टी के कोषाध्यक्ष तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन को भेज रहे हैं।
समारोह में शामिल होने वाले मुख्यमंत्रियों में दिल्ली से आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल से तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी, सपा की ओर से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में असम से तरुण गोगोई, कर्नाटक से सिद्धरमैया, उत्तराखंड से हरीश रावत और नगालैंड से टी आर जेलियांग शामिल होंगे।
महागठबंधन के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी के भी शामिल होने की संभावना है। हालांकि इस बारे में कांग्रेस की ओर से अभी पुष्टि नहीं हुई है। जद (यू) नेता के.सी. त्यागी ने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारक अब्दुल्ला, उनके बेटे तथा जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी समारोह में मौजूद रहेंगे। नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारक अब्दुल्ला, उनके बेटे तथा जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्राी उमर अब्दुल्ला भी समारोह में मौजूद रहेंगे। बिहार चुनावों के परिणाम को धर्मनिरपेक्षता की जीत और सांप्रदायिक ताकतों की हार बताने वाले एआईयूडीएफ अध्यक्ष और असम के नेता बदरद्दीन अजमल भी समारोह में भाग लेंगे। असम उन चार राज्यों में है जहां 2016 में विधानसभा चुनाव होने हैं।
करुणानिधि ने नीतीश को लिखे पत्र में कहा है, ‘मैं खुद पटना के इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उत्सुक हूं और व्यक्तिगत रूप से आपको तथा आपके मंत्रिमंडल को बधाई देना चाहता हूं। लेकिन मुझे खेद है कि मैं चेन्नई से बाहर नहीं जा सकता।’ उनकी पत्नी दयालु अमाल अपोलो अस्पताल की आईसीयू में भर्ती हैं इसलिए वह अपने बेटे स्टालिन को इस समारोह में शामिल होने के लिए भेज रहे हैं।
जदयू राजनीतिक दलों की बड़ी एकता प्रदर्शित करना चाहती है और इसके साथ महागठबंधन खुद को राष्ट्रीय स्तर पर राजग के मुकाबले के लिए तैयार भी करेगा। बड़ी संख्या में विभिन्न दलों के नेताओं ने शपथ ग्रहण समारोह में अपने शामिल होने की पुष्टि की है, ऐसे में पार्टी का मानना है कि 26 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्रा पर इसकी छाप दिखाई देगी। जहां राजग के कुछ सहयोगी दलों ने भी नीतीश की तारीफ की है, ऐसे में जद (यू) संघवाद के मुद्दे पर राजनीतिक दलों से संपर्क साधते हुए केंद्र-राज्य के संबंधों जैसे मुद्दों को उठा सकता है।
जदयू महासचिव के सी त्यागी ने पीटीआई-भाषा से कहा, लोगों ने बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन को बड़ी जीत दिलाई है। इसलिए शपथ ग्रहण समारोह भी भव्य होगा। इस महाआयोजन का प्रभाव शीतकालीन सत्र पर भी पड़ेगा।
उन्होंने कहा, संसद सत्र के शुरू होते ही असहिष्णुता, महंगाई और केंद्र-राज्य संबंध जैसे मुद्दों पर राजनीतिक दलों की व्यापक एकता दिखाई देगी। हम राजग से मुकाबला करने के लिए बड़ी विपक्षी एकता के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि शिवसेना से महाराष्ट्र के दो मंत्री नीतीश के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेंगे, वहीं पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बिहार के मुख्यमंत्री को फोन कर उन्हें बताया कि वह दिसंबर में पटना जाकर उनसे मुलाकात करेंगे। शिवसेना ने नीतीश कुमार की जीत की तारीफ करते हुए उन्हें महानायक कहा था।
पंजाब के उप मुख्यमंत्री और अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल ने जद (यू) नेताओं से बात की है और वह भी समारोह में शिरकत कर सकते हैं।