राजस्थान में पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता तय करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिराजय सिंह ने शैक्षणिक योग्यता तय करने का विरोध करते हुए कहा कि किसी जनप्रतिनिधि की शैक्षणिक योग्यता तय करना संविधान के खिलाफ है। क्योंकि लोकतंत्र में जब मतदान करने का अधिकार है तो चुनाव लडऩे का भी अधिकार मिला हुआ है। शैक्षणिक योग्यता तय करने से भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिलेगा। वहीं राज्य सरकार का तर्क है कि अनपढ़ होने के कारण पंचायत प्रतिनिधियों को आपराधिक मामले में फंसने से बचाने के लिए यह प्रावधान किया गया है। गौरतलब है कि राजस्थान सरकार ने
पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचन में सरपंच के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता 8वीं और
जिला परिषद या पंचायत समिति सदस्य के लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान या उसके समकक्ष किसी बोर्ड द्वारा 10वीं कक्षा का प्रमाण पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ कई स्वयंसेवी संगठनों, राजनीतिक दलों और जनप्रतिनिधियों ने अदालत में याचिका लगाकर सरकार से फैसला वापस लेने की मांग की है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अदालत में कहा गया कि सरपंच लोकतंत्र के लिए पाठशाला है और याचिकाकर्ता महिलाएं पहले सरपंच रह चुकी हैं, लेकिन अब शैक्षणिक योग्यता के कारण चुनाव नहीं लड़ पा रही हैं। इनमें कई ऐसी सरपंच हैं जो अनपढ़ रहते हुए भी उत्कृष्टï कार्य किए जिसके लिए राज्य और केंद्र सरकार से पुरस्कार भी मिल चुका है।
अध्यादेश के खिलाफ आक्रोश
राजस्थान में पंचायत चुनाव में शैक्षणिक योग्यता तय करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।
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