छत्तीसगढ़ के कारखानों में काम करने वाले मजदूरों को एड्स से बचाव और नियंत्राण की जानकारी देने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया था। स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक और छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्राण समिति के परियोजना संचालक प्रसन्ना आर ने कार्यशाला में आए निजी उद्योगों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वह एक निश्चित संख्या में कण्डोम खरीदें और उनके उद्योग में आने वाले टक चालकों, परिचालकों, खलासियों तथा उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों को उपलब्ध कराएं। प्रसन्ना ने कहा कि कम्पनी के आस-पास चाय के ठेलों, ढाबों, पान की दुकानों में भी निशुल्क कंडोम वितरण किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की एड्स नियंत्रण समिति में रक्तदान वैन तथा एच.आई.वी. की जांच करने वाली मोबाईल वैन को एक निश्चित तिथि पर बुलाकर एच.आई.वी. की जांच कराना चाहिए और परामर्श लेना चाहिए ताकि कम्पनी के लोगों को जांच सुविधा निशुल्क प्राप्त हो सके।
प्रसन्ना ने कहा कि कम्पनियों को समय-समय पर रक्तदान शिविर आयोजित करना चाहिए। स्वास्थ्य के क्षेत्रा में बचाव के प्रति, लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए प्रचार-प्रसार सामाग्री वितरित की जानी चाहिए। प्रसन्ना ने निजी उद्योगों को तकनीकी सहयोग देने तथा कम्पनी में कार्यरत कर्मचारियों को एच.आई.वी एड्स से बचाव के सम्बंध में प्रशिक्षण देने का भी भरोसा दिलाया।
अधिकारी ने कहा कि एड्स की रोकथाम के लिए व्यापक उपाय शासन स्तर से किये जा रहे हैं। जनता को भी इसके रोकथाम व बचाव के क्षेत्रा में आगे आने की आवश्यकता है। निजी उद्योग में काम करने वाले श्रमिक का यदि स्वास्थ्य अच रहेगा तो इसका फायदा कम्पनी व उसके परिवार को होगा।
इस दौरान अधिकारियों ने बताया कि भारत में वर्ष 2011 के आंकड़ों के अनुसार 21 लाख लोग एच.आई.वी. से संक्रमित हैं। यह प्रसार उच्च जोखिम समूह से लेकर आम लोगों को प्रभावित कर रहा है। 57 फीसदी ग्रामीण एच.आई.वी. से संक्रमित हैं जिनमें से करीब 90 प्रतिशत लोग 15 से 49 वर्ष तक के हैं। इसके लिए निजी उद्योग और शासन स्तर पर एक कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता है।
इस कार्यशाला में छत्तीसगढ़ राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अधिकारी और कर्मचारियों समेत 41 निजी उद्योग के प्रतिनिधि उपस्थित थे।