संगठित अपराधियों, गिरोहों की गतिविधियों, मादक पदार्थों व अवैध हथियारों की तस्करी को एनसीआर में रोकने हेतु चार राज्यों की अंतर-राज्य अपराध समन्वय समिति की बैठक में आज ‘अंतर-राज्यीय अपराध सूचना सचिवालय’ को गुरुग्राम में स्थापित करने का निर्णय लिया गया। यह संस्थागत तंत्र हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और नई दिल्ली की पुलिस को प्रभावी ढंग से समन्वय स्थापित करते हुए सामान्य डेटाबेस बनाने, अपराध और आपराधिक गतिविधियों को रोकने के लिए वास्तविक जानकारी को सांझा करने में सहायता करेगा।
यह निर्णय पहली अंतर-राज्य अपराध समन्वय समिति की बैठक में लिया गया जिसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस बैठक को आयोजित करने का विचार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के साथ अनौपचारिक बैठक के दौरान लिया गया था। इस तरह की त्रैमासिक बैठकों का आयोजन निश्चित रूप से अपराधियों और अन्य अवैध गतिविधियों के अंतरराज्यीय गिरोह को पकड़ने के लिए लाभदायक होगा। बैठक का एजेंडा हरियाणा पुलिस महानिदेशक बी एस संधू ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों के साथ-साथ नई दिल्ली के पुलिस आयुक्त के साथ मिलकर तैयार किया था।
बैठक के उपरांत एक संयुक्त वक्तव्य में हरियाणा के एडीजीपी (कानून और व्यवस्था) मोहम्मद अकील ने बताया कि सभी पुलिस अधिकारियों ने विभिन्न अंतर-राज्य अपराधों पर व इस तरह के अपराधियों पर नकेल कसने और उन्हें पकडने की रणनीति तैयार करने पर विचार-विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आपसी समन्वय के साथ कानून व्यवस्था के लिए अपराध शाखा, सीआईए और एसटीएफ अधिकारियों के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्रों के एसएचओ के बीच नियमित बैठकें भी आयोजित की जाएंगी ताकि अपराधों पर अंकुश लगाने के साथ-साथ कानून व्यवस्था बनाए रखी जा सके। निर्णय लिया गया कि सभी स्तरों पर पुलिस अधिकारियों के मोबाइल और लैंडलाइन नंबरों को भी बेहतर समन्वय बनाने और अंतर-राज्य अपराध को रोकने के लिए साझा किया जाएगा।
सोशल मीडिया का उपयोग करने के उद्देश्य से, व्हाट्सएप पर पुलिस अधिकारियों के उचित समूह भी बनाए जाएंगे। इसके अलावा, चारों राज्यों की वास्तविक जानकारी को साझा करने के लिए एक-एक वरिष्ठ नोडल अधिकारी भी नियुक्त करेंगे। उन्होंने कहा कि हरियाणा ने अवैध हथियारों के निर्माण एवं आपूर्ति में संलिप्त अपराधियों के नेटवर्क को तोडऩे के लिए सभी सीमावर्ती राज्यों विशेषकर उत्तर प्रदेश से सहयोग मांगा है। यदि पुलिस सामूहिक रूप से अवैध हथियारों के निर्माण, परिवहन और खरीद को रोकने में सफल होती है तो यह निश्चित रूप से यह पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।