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कश्मीरियों ने सोशल मीडिया बैन का निकाला तोड़, वीपीएन से लोग चला रहे हैं पसंदीदा साइट

सरकार ने लगभग छह महीने बाद पिछले हफ्ते ही कश्मीर में 2जी इंटरनेट सेवा बहाल की है। हालांकि, इसमें सोशल...
कश्मीरियों ने सोशल मीडिया बैन का निकाला तोड़, वीपीएन से लोग  चला  रहे हैं पसंदीदा साइट

सरकार ने लगभग छह महीने बाद पिछले हफ्ते ही कश्मीर में 2जी इंटरनेट सेवा बहाल की है। हालांकि, इसमें सोशल मीडिया और कुछ अन्य वेबसाइट को ब्लैकलिस्ट कर दिया और केवल 301 वेबसाइटों की अनुमति दी है। लेकिन जैसे ही इंटरनेट बहाल हुआ, कश्मीरियों ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का उपयोग करके सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध को दरकिनार कर दिया।

सरकार के लिए चिंता का विषय नहीं

वीपीएन यूजर को साझा या सार्वजनिक नेटवर्क पर डाटा भेजने और प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।ज्यादा से ज्यादा कश्मीरी वीपीएन ऐप का उपयोग सोशल मीडिया और अन्य वेबसाइटों पर प्रतिबंध को भंग करने के लिए कर रहे हैं। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने आउटलुक को बताया कि यह सरकार के लिए चिंता का विषय नहीं है।

वीपीएन कश्मीर में फ्लू की तरह फैल गया है

अधिकारी ने कहा कि वीपीएन ऐप का इस्तेमाल बहुत ही कम लोग कर रहे हैं, जिन्हें तकनीक का ज्ञान है, जो सरकार के सामने कोई चुनौती नहीं है। उन्होंने कहा कि कम स्पीड वाले इंटरनेट से वीपीएन ऐप डाउनलोड करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। अधिकारी ने बताया, “आप मोबाइल-टू-मोबाइल शेयरिंग के माध्यम से वीपीएन ऐप प्राप्त कर सकते हैं। वीपीएन ऐप कश्मीर में फ्लू की तरह फैल गया है। लोग मिलते हैं, वीपीएन साझा करते हैं और आगे बढ़ते हैं लेकिन यह चिंताजनक स्थिति नहीं है।”

एक फायरवॉल और एक वायरस से ही निपट सकते हैं

अधिकारी ने समझाया, “अगर वीपीएन एक वाइरस है तो फायरवॉल एक ड्रग है, हम एक बार में एक फायरवॉल और एक वायरस से ही निपट सकते हैं। जब एक और वीपीएन आता है, तो हमें एक और फायरवॉल की जरूरत होती है। अच्छी बात यह है कि वायरस अलग-अलग हो सकते हैं लेकिन हमें अलग-अलग वायरस के इलाज के लिए केवल एक ही फायरवॉल पर काम करना होता है। प्रौद्योगिकी गतिशील है लेकिन यह एक गंभीर चुनौती नहीं है।”

चूंकि कम गति वाले इंटरनेट से वीपीएन डाउनलोड करना मुश्किल है, इसलिए सरकार द्वारा 301 इस्तेमाल में आने वाली वेबसाइटों के अलावा कोई और वेबसाइट एक्सेस करने के लिए कश्मीरियों ने अपने फोन पर ऐप इंस्टॉल करने के लिए अन्य साधन ढूंढ लिए हैं।

ऐसे कर रहे हैं शेयर

एक शिक्षक ने आउटलुक को बताया,“मेरी बेटी दिल्ली सुप्रीम कोर्ट गई थी। मैंने उसे कई वीपीएन डाउनलोड करने के लिए कहा था। शेयरइट ऐप के माध्यम से वह अपने फोन में डाउनलोड किए गए वीपीएन के साथ वापस आई और अब वे वीपीएन एप्लिकेशन मेरे एंड्रॉइड फोन में भी है। 2जी इंटरनेट के जरिए मैं किसी भी वेबसाइट को नहीं खोल पा रहा था, लेकिन वीपीएन ऐप एक आशीर्वाद है। मैं इसके माध्यम से कई वेबसाइटों तक पहुंच सकता हूं।”

जैसा कि लोगों को आशंका है कि सरकार वीपीएन एप्स को भी ब्लॉक कर सकती है, उन्होंने अपने फोन में कई वीपीएन स्टॉक कर रखे हैं, ताकि आगे लंबे समय तक वे इसका इस्तेमाल कर सकें।

विशेषज्ञों की मदद से बना रहे हैं फायरवॉल जिससे सोशल मीडिया हो सके प्रतिबंधित

भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) के महाप्रबंधक नजीर अहमद जू ने एक स्थानीय समाचार एजेंसी के हवाले से बताया कि उन्होंने नोएडा और बेंगलुरु के विशेषज्ञों की एक टीम को बुलाया है, जो एक ऐसी फायरवॉल बनाने जा रहें हैं, जिससे उपभोक्ताओं द्वारा वीपीएन का उपयोग करके सोशल मीडिया अनुप्रयोगों तक पहुंचने के लिए किसी भी प्रयास को विफल किया जा सके। जू ने कहा कि कश्मीर में ब्रॉडबैंड इंटरनेट सेवाओं को तब तक बहाल नहीं किया जाएगा, जब तक कि फायरवॉल नहीं बनाया जाता है और सोशल मीडिया तक पहुंच को प्रतिबंधित नहीं किया जाता।

 

 

 

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