कश्मीरी आतंकवादियों को फंडिंग के मामले में फंसे अलगवादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने सोमवार को तहरीक-ए-हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया। वह पिछले 18 साल से इस पद पर बने हुए थे। उनकी जगह पर वरिष्ठ हुर्रियत नेता मुहम्मद अशरफ सेहराई को संगठन का नया अध्यक्ष बनाया गया है। गिलानी ने वर्ष 2001 में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की स्थापना की थी और तभी से वह इसके अध्यक्ष थे।
#Hurriyat leader Syed Geelani resigns
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— ANI Digital (@ani_digital) March 19, 2018
माना जा रहा है कि टेरर फंडिग मामले में घेरे में आए गिलानी ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी की कार्रवाई के बाद मजबूर होकर यह कदम उठाया है। इससे पहले गिलानी ने शुक्रवार को दावा किया था कि उन्हें भारतीय खुफिया एजेंसी आईबी के एक अधिकारी की ओर से वार्ता का ऑफर मिला था जिसे उन्होंने खारिज कर दिया था। बता दें, एनआईए ने पिछले दिनों जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद से जुड़ी आतंकवाद फंडिंग जांच के मामले में पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के बेटों से पूछताछ की थी।
एनआईए के निशाने पर गिलानी और उनके परिवार की 150 करोड़ रुपये की 14 प्रॉपर्टी हैं। गिलानी के बड़े पुत्र नईम पेशे से सर्जन हैं और छोटे बेटे नसीम जम्मू-कश्मीर सरकार के कर्मचारी थे। नईम अपने पिता के बाद पाकिस्तान समर्थक कट्टरपंथी समूहों के अलगावादी संगठन तहरीक-ए-हुर्रियत के स्वाभाविक उत्तराधिकारी माने जाते थे। सूत्रों ने बताया कि आतंकवाद फंडिंग मामले में यहां भाइयों से पूछताछ हुई। मामले में पाकिस्तान स्थित जमात-उद-दावा और प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के नेता सईद का नाम आरोपी के तौर पर दर्ज है ।
एनआईए ने गत वर्ष 30 मई को मामला दर्ज करते हुए आतंकवादी संगठनों के साथ अलगावादी नेताओं की मिलीभगत का आरोप लगाया था। राज्य में अलगावादी और आतंकवादी गतिविधियों की फंडिंग के लिए हवाला चैनलों सहित विभिन्न अवैध जरियों से कोष जुटाने, प्राप्त करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया। स्कूल जलाने, सुरक्षा बलों पर पथराव करने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और भारत के खिलाफ जंग छेड़कर घाटी में तबाही मचाने का भी मामला है। जांच एजेंसी ने राज्य के साथ ही हरियाणा और राष्ट्रीय राजधानी में कई जगहों पर तलाशी की। करोड़ों रुपये के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और कीमती वस्तुएं जब्त की गईं थीं।