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जम्मू कश्मीर: अब्दुल्ला सरकार और एलजी के बीच कैसे होंगे रिश्ते, मनोज सिन्हा ने कही ये बड़ी बात

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नई उमर अब्दुल्ला सरकार के साथ एलजी कार्यालय के रिश्तों पर...
जम्मू कश्मीर: अब्दुल्ला सरकार और एलजी के बीच कैसे होंगे रिश्ते, मनोज सिन्हा ने कही ये बड़ी बात

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने नई उमर अब्दुल्ला सरकार के साथ एलजी कार्यालय के रिश्तों पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जो सरकार लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए उचित कदम उठाएगी, उसे उपराज्यपाल कार्यालय का पूरा समर्थन मिलेगा।

सिन्हा ने कहा कि जैसे ही पिछड़ा वर्ग आयोग ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या पर अपनी रिपोर्ट सौंप देगा, मौसम की स्थिति इसकी अनुमति देगी और आवश्यक सुरक्षा बल उपलब्ध हो जाएंगे, केंद्र शासित प्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव करा दिए जाएंगे।

सोमवार शाम पीटीआई को दिए साक्षात्कार में सिन्हा ने कहा, "जो सरकार लोगों की उम्मीदों को पूरा करने के लिए उचित कदम उठाएगी, मैं उन्हें आश्वासन देता हूं कि उपराज्यपाल कार्यालय उसे पूरा सहयोग देने के लिए तैयार रहेगा।"

उपराज्यपाल कार्यालय और मुख्यमंत्री के बीच कार्य व्यवस्था के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सत्ता में आने वाली कोई भी निर्वाचित सरकार लोगों की उम्मीदों को पूरा करना चाहती है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पांच विधायकों के नामांकन के खिलाफ कांग्रेस के विरोध और उसके बाद अदालत में याचिका दायर करने पर सिन्हा ने कहा कि भारत एक लोकतंत्र है और हर किसी को किसी भी चीज का विरोध करने की स्वतंत्रता है।

उन्होंने कहा, "देश जानता है कि जब पुडुचेरी विधानसभा बनी थी, तब माननीय लाल बहादुर शास्त्री गृह मंत्री थे। उन्होंने सभी सीटों को मनोनयन के माध्यम से भरने का प्रस्ताव पेश किया था। उस समय कुछ सांसदों ने इसका विरोध किया था और तब यह निर्णय लिया गया था कि 10 प्रतिशत सदस्य मनोनीत किए जाएंगे। 30 सदस्यों वाली विधानसभा में तीन सदस्य मनोनीत किए जाएंगे।"

उन्होंने आगे कहा कि इस मामले पर पहले भी अदालती आदेश जारी किया जा चुका है। उन्होंने कहा, "यह राज्य पुनर्गठन अधिनियम का हिस्सा है। जिन लोगों को आपत्ति है वे अदालत जा सकते हैं, लेकिन मेरा मानना है कि इसमें कुछ भी असंवैधानिक नहीं है।" 

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के कुछ प्रावधान, जो पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करते हैं, उपराज्यपाल को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पांच विधायकों को नामित करने का अधिकार देते हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, कांग्रेस समेत अन्य ने इस प्रावधान का विरोध किया है।

एलजी सिन्हा ने कहा कि पंचायत चुनाव पहले हो जाने चाहिए थे, लेकिन प्रशासन अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण पर रिपोर्ट का इंतजार कर रहा है।

उन्होंने कहा, "यदि इस रिपोर्ट के बिना चुनाव हुए होते तो अदालत उन्हें रोक देती। इसलिए हमें इसमें संशोधन के लिए संसद जाना पड़ा। चुनाव की तैयारियां निश्चित रूप से पूरी हो चुकी हैं।"

सिन्हा ने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होते ही तथा सुरक्षा बलों की उपलब्धता और मौसम की स्थिति के आधार पर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जाएंगे।

जम्मू और कश्मीर सरकार ने स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षित सीटों की संख्या की सिफारिश करने के लिए एक आयोग का गठन किया है।

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