मंदिर नगरी स्थित श्री वेंकटेश्वर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के निदेशक एवं कुलपति डॉ. बी. वेंगम्मा ने पीटीआई-भाषा को बताया कि 89 वर्षीय पटनायक का संस्थान में निधन हो गया। पटनायक सोमवार को यहां राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। भगवान वेंकटेश्वर मंदिर के ओएसडी दामोदर ने बताया कि पटनायक ने बीती देर रात मंदिर में पूजा अर्चना की थी।
वेंगम्मा ने बताया कि आधी रात के समय उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की और उन्हें तत्काल अस्पताल लाया गया। उन्हें बचाया नहीं जा सका। एक पुजारी ने कहा कि पटनायक ने मंगवार को अक्षय तृतीया के दिन सुबह अंतिम श्वांस ली। अक्षय तृतीया का दिन बेहद शुभ माना जाता है। विद्यापीठ के अधिकारी उनके पार्थिव शरीर को हवाई जहाज से ओडिशा पहुंचाने का प्रबंध कर रहे हैं। उनका अंतिम संस्कार पुरी में होगा।
पटनायक ओडिशा के तीन बार मुख्यमंत्री रहे थे। ओडिशा सरकार ने दिवंगत नेता के सम्मान में मंगवार को एक दिन के अवकाश की घोषणा की है। एक सप्ताह के राजकीय शोक की भी घोषणा की गई है। साहित्य एवं संस्कृति के प्रति उल्लेखनीय योगदान के लिए जाने, जाने वाले बहुमुखी व्यक्तित्व के स्वामी पटनायक का जन्म तीन जनवरी 1927 को हुआ था। पटनायक 1980 में मुख्यमंत्री बने और 1989 तक पद पर बरकरार रहे। 1995 में वह फिर मुख्यमंत्री बने और 1999 तक पद पर रहे।
पटनायक को 2009 में असम का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। वह केंद्र में भी मंत्री रहे। खुर्दा हाईस्कूल से शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद पटनायक ने 1947 में उत्कल विश्वविद्यालय से बी.ए. की उपाधि हासिल की और 1949 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर किया।