पश्चिम बंगाल में हुगली जिले के एतिहासिक शहर चंदननगर में एक ऐसा प्राचीन मंदिर है जहां भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा के साथ राक्षसी पूतना की भी पूजा की जाती है। बताया जाता है कि यहां भगवान श्रीकृष्ण को अपनी गोद में धारण की हुई महाभारत काल की राक्षसी पूतना की पूजा लगातार 100 वर्षो से ज्यादा समय से हो रही है। भगवान श्रीकृष्ण के साथ दैत्य पूतना की पूजा की परंपरा यहां वर्षो से चली आ रही है।
दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक, हर साल खासकर जन्माष्टमी एवं रथ पूजा के दिन इस प्राचीन मंदिर में भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है। चंदननगर के नीचूपट्टी इलाके में रहने वाले अधिकारी परिवार के मकान में यह मंदिर स्थित है। पिछले चार पीढ़ियों से अधिकारी परिवार परंपरागत से यह पूजा की विधि निभाते आ रहे हैं।
खास बात यह भी है कि श्रीकृष्ण एवं राधा का मंदिर होने के बावजूद यह मकान राक्षसी बाड़ी के नाम से प्रचलित है। मंदिर के संस्थापक के पोते गौर अधिकारी रोजना तीन पहर इस मंदिर में देवी- देवताओं के साथ राक्षसी पूतना की पूजा- अर्चना करते हैं।
राधा गोविंद के अलावा इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, बलराम एव सुभद्रा की भी मूर्ति है। चंदननगर में होने वाली प्रसिद्ध जगद्धात्री पूजा का भी यहां आयोजन किया जाता है। इस परिवार की बुजुर्ग महिला छवि अधिकारी का कहना है कि मैंने अपनी सास से सुना था कि उनके ससुर के स्वप्न में राक्षसी पूतना आई थी और उसने कहा था कि वे मंदिर बनाकर मेरी पूजा करें।
इसके बाद ही मेरे ससुर के पिता ने अपने इस मकान में ही राधा गोविंद का मंदिर बनाकर यहां राक्षसी पूतना की भी मूर्ति की स्थापना की थी। तबसे मेरा परिवार देवी- देवताओं की पूजा के साथ राक्षसी पूतना की भी पूजा करते आ रहे हैं। मंदिर के अंदर भगवान श्रीकृष्ण एवं राधा तथा उसके बाहर राक्षसी पूतना की विकराल काया की मूर्ति है।
बाल अवस्था में भगवान श्रीकृष्ण को दूध पिलाते हुए यहां राक्षसी पूतना की मूर्ति स्थापित की गई है। पूतना के विकराल शरीर वाली मूर्ति के मुंह में दो लबे दांत है। उसकी आंखो में लाल रंग की लाइट भी लगाई गई है। जो लोगों के के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। हालांकि पूतना के इस वेश को अचानक देखने में डर भी लगता है।
पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण के मामा कंस ने उन्हें मारने के लिए राक्षसी पूतना को गोकुल भेजा था। उस समय भगवान श्रीकृष्ण बाल अवस्था में पूतना का विषैला स्तनपान करके उसका बध किया था। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला की कथाओं में राक्षसी पूतना का जिक्र किया गया है।
मालूम हो कि चंदननगर में फ्रांसीसी शासन के पहले से ही यह मंदिर स्थापित है। अंग्रेजी शासन काल में चंदननगर फ्रांस का औपनिवेश था। वर्षो पुरानी इस जर्जर मंदिर की जीर्णोद्धार के लिए गौर अधिकारी ने चंदननगर नगर निगम के निमार्ण विभाग के अधिकारियों को पत्र भी लिखा है। लेकिन प्रशासन की ओर से इसके रखरखाव के लिए अबतक कोई ठोस कदम नही उठाए गए हैं।