मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य झाबुआ में शर्मसार तक देने वाली घटना हुई है। एक आवासीय स्कूल में 12 वर्षीय बच्ची को उसके सहपाठियों ने अपने शिक्षक के निर्देशों पर छह दिन की अवधि में 168 बार थप्पड़ मारे। बच्ची के पिता ने स्कूल के अधिकारियों और पुलिस को शिकायत की।
हालांकि, स्कूल के प्रिंसिपल के सागर ने इसे "मैत्रीपूर्ण" दंड करार दिया। सागर ने कहा, "वे मजबूत थप्पड़ नहीं थे, बल्कि हल्के और मैत्रीपूर्ण थे। हम माता-पिता से भी बात करेंगे।"
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, यह घटना थांदला शहर के नवोदय विद्यालय में हुई। लड़की के पिता शिवप्रताप सिंह ने पुलिस को बताया कि 11 जनवरी से 16 जनवरी के बीच उसे होमवर्क पूरा न करने के लिए 168 बार थप्पड़ मारा गया। बच्ची स्कूल में कक्षा छठी की छात्रा है।
उन्होंने पुलिस को बताया कि विद्यालय के विज्ञान अध्यापक मनोज कुमार वर्मा ने 11 जनवरी को बच्ची की सहपाठियों से उन्हें दंड के रूप में थप्पड़ मारने के लिए कहा था। 14 लड़कियां हर दिन दो बार छह दिनों तक थप्पड़ मारती थीं।
सिंह ने अपनी शिकायत में कहा, कि उसकी बच्ची अस्वस्थ थी इसलिए वह अपना होमवर्क पूरा करने में असमर्थ थी। उन्होंने स्कूल को अपने बच्ची की बीमारी से अवगत कराया था। उन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी डर और संकट के कारण बीमार हो गई और स्कूल जाने से इनकार कर दी, जिसके बाद उन्हें स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।
थांदला पुलिस थाना प्रभारी एसएस बघेल ने पुष्टि की कि एक शिकायत मिली थी लेकिन उन्होंने कहा कि लड़की की मेडिकल टेस्ट में कोई चोट नहीं मिली। उन्होंने कहा, " हमारी टीम ने भी स्कूल का दौरा किया और पाया कि ऐसी घटना हुई है, हम आगे की जांच कर रहे हैं। हालांकि अब तक कोई औपचारिक मामला दर्ज नहीं किया गया है। "
स्कूल के प्रिंसिपल सागर ने शिक्षक की कार्रवाई का बचाव किया और अनुशासन पद्धति के "अनुकूल" सजा कहा। उन्होंने कहा, "हम स्कूल में शारीरिक दंड की अनुमति नहीं देते हैं। लड़की पढ़ाई में कमजोर है और अपने काम को पूरा नहीं करती है।" उन्होंने कहा, शिक्षक ने स्कूल में उसके प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए इस तरह का दंड चुना।
जिला कलेक्टर आशिष सक्सेना ने कहा कि यह मुद्दा उनके संज्ञान में आया और उन्होंने जांच का आदेश दे दिया है।