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क्या है तैमारा घाटी का रहस्‍य? यहां घड़ी का समय क्‍यों बढ़ जाता है साल-डेढ़ साल आगे!

रांची-जमशेदपुर रोड पर रांची के करीब है तैमारा घाटी। कभी माओवादियों के गढ़ के रूप में ख्‍यात था तो सड़क...
क्या है तैमारा घाटी का रहस्‍य? यहां घड़ी का समय क्‍यों बढ़ जाता है साल-डेढ़ साल आगे!

रांची-जमशेदपुर रोड पर रांची के करीब है तैमारा घाटी। कभी माओवादियों के गढ़ के रूप में ख्‍यात था तो सड़क हादसों के कारण भी बदनाम रहा। फोर लेन के निर्माण में लगे लंबे समय के कारण यह यह सड़क हमेशा चर्चा में रही। यहां होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर अंधविश्‍वास भी जुड़ा रहा। लोग रास्‍ते में पड़े वाले मंदिर पर रुक कर सिर नवाते, कुछ पैसे चढ़ाते तब वाहन आगे बढ़ाते। तैमारा घाटी अचानक मोबाइल के टाइम को लेकर चर्चा में है। यहां से गुजरने वाले लोगों के मोबाइल का समय अचानक थोड़ी देर के लिए आगे बढ़ जाता है, डेढ़-दो साल आगे। तारीख भी बदल जाता है।


यह है लोगों का अनुभव

पर्यावरण विद नितीश प्रियदर्शी ने इससे जुड़े कुछ लोगों के अनुभव को शेयर किया है। अपने फेसबुक पोस्‍ट पर उन्‍होंने लिखा है कि ''कुछ दिन पहले मेरे मित्र संजय बोस जी ने एक घटना की जानकारी मुझे दी जो उनके साथ इस घाटी में घटी। उनका कहना था की रांची टाटा रोड में रामपुर से बुंडू रोड में उनको एक फ़ोन आया। वो कार चला रहे थे इसलिए फ़ोन नहीं उठाये। ये घटना 11 जनवरी 2022 की है। जब वो दुबारा फ़ोन करने के लिए फ़ोन को ऑन किये तो तारीख देख के चौंक गए। उसमे तारीख था अगस्त 17, 2023 , और समय था शाम का 3:36 यानि ढेड़ साल आगे के समय से ये फ़ोन आया । उसके बाद जितने भी कॉल आये उसमे तारीख सही थी बस उसी फ़ोन की तारीख 2023 की थी। आज भी मिस काल में वो नंबर सब से ऊपर ही रहता है।

ऐसी घटना सिर्फ उनके साथ नहीं हुई उन एक मित्र के साथ भी हुई। दूसरी घटना दो दिन पहले की है, जब एक एनजीओ में काम करने कमल किशोर सिंह ने मुझे सुनाई। उसका कहना था जब वो बुंडू टोल ब्रिज पार कर के रात को 8 बजे रांची आ रहे था तो तैमारा घाटी में उनके फोन पे एक मैसेज आया कि मोबाइल के समय और तारीख को ठीक कीजिए। वो मैसेज देख के चौंक गए। तारीख था 25 जनवरी 2024 और समय था सुबह का 9: 06 मिनट। यहां भी लगभग ढेड़ साल का अंतर। ये गड़बड़ी सिर्फ दो मिनट तक रही फिर समय और तारीख अपने आप ठीक हो गई। जब तक और लोग अपना फ़ोन चेक करते वो स्पॉट पार कर चुके थे। ये भी पता चला जहां यह घटना हुई वहां की स्ट्रीट लाइट हमेशा फ्लिकर यानि कांपती है। इन लोगों की कार की स्पीड भी ज्यादा नहीं थी। अगर हमलोग ये मान भी लें की ये फ़ोन की गड़बड़ी थी तो ये हर जगह होनी चाहिए सिर्फ उसी स्पॉट पे क्यों? क्या वहां कोई चुम्बकीय विकिरण है जो मोबाइल को प्रभावित करती है ? या फिर कोई काल और समय का मामला है ?

इसको आप ऐसे भी समझ सकते हैं की आप कोई नए जगह पर गए हों तो आपको लगेगा की जैसे इस स्थान पर पहले भी आ चुके हैं। या किसी नए व्यक्ति से आप मिलते हों तो आपको लगेगा की आप पहले भी उससे मिल चुके हैं। काल और समय के रहस्य पे आज भी शोध हो रहा है। वैसे भी तैमारा घाटी के रहस्य पे बहुत सारी कहानियां सोशल वेबसाइट पे हैं। मैंने उनलोगो को सलाह दी है की फ़ोन पे आये हुए तारीख को कहीं लिख ले और आने वाले उस समय में क्या होता उसके होने का इंतज़ार करें।''

नितीश प्रियदर्शी के पोस्‍ट पर कई लोगों ने टिप्‍पणी की है। रुद्रा ग्रुप ऑफ कंपनी के सीईओ अविनाश मिश्र ने टिप्‍पणी की कि ''एक स्‍वानुभव बता रहे हैं, हमलोग रात में करीब एक बजे इसे क्रॉस कर रहे थे, करीब एक वर्ष पूर्व। उस समय इस घाटी में हमारी गाड़ी अचानक स्‍लो हो गई। स्‍पीड बढ़ाने से भी नहीं बढ़ रही थी। हमने हमने फिर वापसी की। करीब दो बजे भी सेम यही हुआ।'' आरएन मेहता ने टिप्‍पणी की है कि मेरे साथ भी बई दफा ऐसा हुआ है लेकिन मैंने कभी नोटिस नहीं लिया यह सोचकर कि नेटवर्क के कारण हुआ होगा। डॉ देवांशु चक्रवर्ती ने टिप्‍पणी की है ''हमारा घर इसी इलाके बुंडू में है और हमलोग काफी समय से तैमारा घाटी से आना जाना करते रहे हैं। वहां ऐसा कई बार हुआ है नेटवर्क के कारण।''

पत्रकार आनंद कुमार ने लिखा है कि तैमारा घाटी में नहीं रांची की ओर बढ़ने पर जहां चर्च और स्‍कूल है वहां पर गूगल घड़ी का समय और डेट बदल जाता है। ब्रांड इमेज के प्रोप्राइटर सुशीर शर्मा लिखते हैं कि कई बार मैंने भी महसूस किया है। मुझे लगता था कि नेटवर्क का इशु है। रिसर्च का विषय है।

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