आज से कोई 120 साल पहले सन् 1900 में बिहार के पहले हिंदी साप्ताहिक अखबार बिहार बंधु में पहले पन्ने पर खबर छपी थी। डेढ़ कॉलम में। शीर्षक था खतरनाक खबर। तब भारत का हिस्सा रहे लाहौर के एक अखबार में चोरों के लिए स्कूल की खबर के हवाले से खबर छपी थी। कि किस तरह चोरी की ट्रेनिंग देकर उन्हें माहरि बनाया जाता है। अखबार ने लिखा था कि खबर सच है तो खतरनाक खबर है। तब मोबाइल का जमाना नहीं था। आज हर हाथ और जेब में मोबाइल है। एक से एक कीमती मोबाइल फोन। तब यह भी चोरों के निशाने पर आ गया। दूसरे प्रदेशों सहित झारखंड में भी बाजार-हाट जाने के समय हिदायत दी जाती है मोबाइल पर नजर रखना।
पांच से दस लाख तक का पैकेज
झारखंड का एक जिला साहिबगंज चर्चा में है। मोबाइल चोरों के गिरोह को लेकर। मोबाइल चोरी के लिए बच्चों का इस्तेमाल किया जाता है। बाकायदा चोरों के स्कूल की तरह ट्रेनिंग देकर। कैसे मोबाइल पर हाथ साफ करना है और किस तरह उसे दूसरे हाथों में सौंप खुद किस तरह सुरक्षित हो जाना है। इस हुनर के लिए पांच से दस लाख रुपये सालाना तक का पैकेज देकर किसी मल्टी नेशनल की तरह नियुक्त किया जाता है। एक साल से तीन साल तक का एग्रीमेंट। बीच में धंधा छोड़ा तो पैसा ब्याज के साथ लौटाना होगा। दैनिक जागरण लिखता है कि साहिबगंज के बाबूपुर, महाराजपुर एवं महादेववरा गांव के चोर देश भर में फैले हुए हैं।
हाल ही तीनपहाड़ से चोरी के 122 मोबाइल बरामद किये गये थे। सभी महंगे। इन मोबाइलों को प.बंगाल के रास्ते बंगलादेश भेजने की योजना थी। पुलिस ने धर दबोचा। तब जाहिर हुआ कि मोबाइल चोरी के धंधे में सरगना मासिक पैकेज पर बच्चों का इस्तेमाल करता है। पांच से दस लाख रुपये तक का पैकेज। पैसा अभिभावकों को दिया जाता है। एक प्रकार से एग्रीमेंट अभिभावकों के भरोसे। यानी उनकी हामी, उनकी संलिप्तता भी। गिरोह में शामिल कोई एमए पास था कोई बिजली विभाग में अनुबंध पर काम करने वाला कर्मी तो कोई अंग्रेजी में स्नातक। बीते 12 दिसंबर को तालझारी पुलिस ने महाराजपुर डाकबंगला के पास से गोड्डा निवासी अंग्रेजी से स्नातक व बीएड किये युवक को पकड़ा था 14 एंड्रायड फोन के साथ। गिरोह के संपर्क में आया तो आकर्षण में चोरी की मोबाइल फोन बेचने की दुकान ही खोल ली थी। पुलिस के सामने सरगना के रूप में संजय राजा महतो उर्फ नेनुआ आदि कुछ नाम मिले हैं मगर पुलिस अभी तक सरगना तक नहीं पहुंच सकी है। वैसे बीते तीन माह में साहिबगंज में दो सौ से अधिक मोबाइल और आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
वैसे झारखंड के एक और पिड़ा जिला है जामताड़ा वहां। वहां तो साइबर क्राइम का कहना ही क्या है। साइबर क्राइम के कारण अब पूरे देश में ख्यात है। बैंक, एटीएम खाते से फर्जी तरीके से पैसे निकासी को लेकर कोई घटना घटती है तो अनेक मामलों में तार जामताड़ा से जुड़ जाता है। उदाहरण के लिए दिल्ली के साइबर सेल ने जामताड़ा के नारायणपुर गांव के प्रद्युमन मंडल को पकड़ा तो उसने बताया कि वह अकेले पचास लाख रुपये से अधिक की ठगी कर चुका है। वह दो साल से गिरोह के साथ जुड़ा है। जामताड़ा के जंगलों में साइबर ठगी के कॉल सेंटर चलाते हैं जहां सांप बिच्छु के डर से पुलिस जाती तक नहीं है। यहां के साइबर फ्रॉड का तो अलग किस्सा ही है।