मनरेगा घोटाला के मामले में झारखंड की वरिष्ठ आईएएस खान और उद्योग सचिव रही पूजा सिंघल के ठिकानों पर रेड के बाद इसका दायरा बढ़ता जा रहा है। अब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के करीबी लोगों के यहां रेड से संदेश जा रहा है कि असल घेरेबंदी हेमन्त सोरेन की हो रही है। विधायकी को लेकर चुनाव आयोग में चल रही सुनवाई तथा अपने नाम माइनिंग लीज और शेल कंपनियों में निवेश को लेकर जनहित याचिका से हेमन्त पहले से परेशान हैं। ईडी के इस 'जमीनी' ऑपरेशन ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी है।
12-14 साल पहले के मनरेगा घोटाला को लेकर छह मई को देशभर में पूजा सिंघल से जुड़े लोगों के 25 ठिकानों पर रेड हुआ। उनके सीए सुमन कुमार के यहां से 19 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए। पूजा सिंघल और सुमन कुमार दोनों को गिरफ्तार किया जा चुका है और ईडी उनसे लगातार पूछताछ कर रही है। मामला माइनिंग लीज और शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लाउंड्रिंग तक पहुंच गया है।
ईडी को मिले इनपुट के आधार पर साहिबगंज, पाकुड़, दुमका और रांची के जिला खनन पदाधिकारी से ईडी पूछताछ की है। इसके बाद मंगलवार को ईडी ने मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का जो गृह सचिव और सूचना सचिव का जिम्मा भी संभाल रहे हैं के बिल्डर बहनोई निशित केशरी और विशाल चौधरी के ठिकानों पर रेड किया। बुधवार हेमन्त के करीबी के रूप में चर्चित प्रेम प्रकाश साहू के रांची, बनारस और सासाराम के पांच ठिकानों पर ईडी ने रेड कर महत्वपूर्ण दस्तावेज और मोबाइल बरामद किया। तीनों सत्ता के लॉबिस्ट के रूप में ख्यात हैं। विशाल के यहां से हाल में दस करोड़ रुपये विभिन्न लोगों के यहां ट्रांसफर के सुबूत भी मिले हैं। विशाल चौधरी के बारे में कहा जाता है कि राज्य के बड़े अधिकारियों से इसके गहरे ताल्लुकात रहे। संबंध कुछ इस तरह कि बड़े अधिकारी भी अपने तबादले या अपने खिलाफ होने वाली कार्रवाई से बचने के लिए इनकी मदद लेते। उत्पाद नीति में बदलाव के पीछे भी इसकी भूमिका मानी जाती है।
पूरे प्रकरण में गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दुबे लगातार चर्चा में रहे। ईडी की कार्रवाई की खबर मीडिया से पहले दुबे के ट्वीट से मिलती रही। प्रेम प्रकाश साहू के बारे में भी निशिकांत दुबे ने ट्वीट किया है कि ये झारखंड के माहिर खिलाड़ी हैं। नेता और अधिकारी इनकी जेब में रहते हैं, तबादले इनकी मर्जी के बिना नहीं होते। हाल ही दुबे ने रांची में बन रहे इनके बंगले को लेकर ट्वीट किया था। ज्यों-ज्यों प्रवर्तन निदेशालय के रेड का दायरा बढ़ता जा रहा है नये-नये साक्ष्य और इनपुट उसे मिल रहे हैं। हालांकि अब तक ईडी की ओर से तमाम रेड में बरामदगी को लेकर कोई औपचारिक जानकारी अभी तक मीडिया को नहीं दी है। छन-छन कर विभिन्न स्रोतों से खबरें आ रही हैं।
रेड के बढ़ते दायरे से नेताओं के साथ उन अफसरों में भी बेचैनी है जो सत्ता में महत्वपूर्ण पदों पर काबिज रहे या जिनके भ्रष्टाचार को लेकर राज्यपाल ने केंद्र को रिपोर्ट भेजी है।