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झारखंडः चुनाव आयोग ने दिया डीसी को हटाने का आदेश तो झामुमो ने तरेरी आंख, कहा- भाजपा की अग्रणी संस्‍था न बने आयोग

रांची। चुनाव आयोग द्वारा देवघर के उपायुक्‍त (डीसी) को हटाने का आदेश सत्‍ताधारी झामुमो को नागवार...
झारखंडः चुनाव आयोग ने दिया डीसी को हटाने का आदेश तो झामुमो ने तरेरी आंख, कहा- भाजपा की अग्रणी संस्‍था न बने आयोग

रांची। चुनाव आयोग द्वारा देवघर के उपायुक्‍त (डीसी) को हटाने का आदेश सत्‍ताधारी झामुमो को नागवार गुजरा है। झामुमो को आयोग के साथ नरेंद्र मोदी की सरकार पर हमला बोलने का भी मौका मिल गया है। झामुमो ने आयोग की इस कार्रवाई अपने क्षेत्राधिकार का अतिक्रमण बताया है। कहा कि चुनाव आयोग भी सीबीआई, ईडी और आईटी की तरह काम कर रहा है। वह भाजपा का अग्रणी संस्‍थान न बने। हेमन्‍त सरकार में सहयोगी कांग्रेस ने भी आयोग की कार्रवाई पर नाराजगी जाहिर की है। दरअसल गो़ड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और हेमन्‍त सरकार के खिलाफ तीखी नोक-झोंक चल रही है। स्‍तर से नीचे जाकर युवती से दुष्‍कर्म, फर्जी डिग्री से लेकर जमीन को लेकर भी जंग सोशल मीडिया में दिखती रही है। लगता है उस रिश्‍ते का असर भी इस विवाद में कहीं न कहीं असर कर रहा है।
अमूमन चुनावी आदर्श आचार संहिता के समय ही आयोग अधिकारियों के तबादले का फरमान सुनाता है। मगर अभी प्रदेश में कोई आचार संहिता लागू नहीं है। हां, आचार संहिता से जुड़े मामले में चुनाव आयोग ने देवघर के डीसी मंजूनाथ भजंत्री को हटाने का आदेश मुख्‍य सचिव को दिया है। आयोग ने भजंत्री को न सिर्फ हटाने का आदेश दिया। बल्कि 15 दिनों के अंदर आरोप पत्र गठित कर अनुशासनिक कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया। यह भी कहा कि चुनाव के समय भजंत्री को बिना उसकी अनुमति के चुनावी कार्य में प्रतिनियुक्‍त नहीं किया जाये। आयोग ने गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ एक ही दिन पांच प्राथमिकी दर्ज कराने के मामले में दोषी माना है। आयोग का कहना है कि आचार संहिता उल्‍लंघन के मामले में निशिकांत दुबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में छह माह का विलंब क्‍यों किया गया। किस आधार पर बीडीओ को प्राथमिकी का निर्देश दिया गया। सोशल मीडिया पर देवघर डीसी भजंत्री के खिलाफ पोस्‍ट आदि को लेकर 26 अक्‍टूबर को देवघर के अलग-अलग थानों में निशिकांत दुबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। बता दें कि इसी साल अप्रैल में मधुपुर उप चुनाव (अल्‍पसंख्‍यक कल्‍याण मंत्री हाजी हुसैन के निधन से रिक्‍त सीट) के दौरान भाजपा ने भजंत्री पर एक पार्टी के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था। इसके बाद ही उन्‍हें जिला निर्वाचन अधिकारी यानी डीसी के पद से हटाया गया था। हालांकि भजंत्री सत्‍ता की पसंद रहे हैं, उन्‍हें आचार संहिता खत्‍म होते ही वापस भेज दिया गया।
चुनाव आयोग की कार्रवाई पर मंगलवार को झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य जमकर बरसे, कहा कि देवघर के मधुपुर उप चुनाव में तत्‍कालीन डीओ यानी मंजूनाथ भजंत्री ने चुनाव आयोग को शिकायत की कि भाजपा के स्‍थानीय सांसद चुनाव को प्रभावित करने, रिश्‍वत देने, जनता को भ्रमित करने, सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की साजिश कर रहे हैं, उन पर कार्रवाई की जाये। मगर क्‍या परिस्थितियां बदलीं कि उन्‍हें ही चुनाव कार्य से चार-पांच दिनों के लिए अलग कर दिया गया। आचार संहिता समाप्‍त हुई तो उनकी पुन: प्रतिनियुक्ति हुई। हम लोगों को अब लगने लगा कि आयोग जिसे हम ईसीआई कहते हैं का नाम ही बदल गया। इलेक्‍शन कमीशन ऑफ इंडिया के बदले 'एक्‍सटेंडेड सेंटर ऑफ इंटरवेंशन' हो गया। यानी राज्‍य सरकार के क्षेत्राधिकार में अलग से केंद्र की स्‍थापना की गई कि आप उसके अंदर में इंटरवेन करें। पहले सीबीआई, ईडी, आईटी और अब नया ईसीआई। ईसीआई तय करेगा राज्‍य के प्रशासन के पदाधिकारी कौन होंगे, पत्र भी जारी कर दिया। सोशल मीडिया में कल देख रहा था कि भाजपा इस पर जश्‍न मना रही है। देश में लोकतंत्र है या नहीं, संविधान है या नहीं। जब लोकतंत्र है, राज्‍य सरकार की जिम्‍मेदारी साफ इंगित है तो चुनाव आयोग के पास ऐसा कौन से विशेषाधिकार है कि सामान्‍य दिनों में वह राज्‍य सरकार को गाइड करे। आयोग का सात पन्‍ने का पत्र आया कि देर से प्राथमिकी दर्ज की। सब जानते हैं कि अपराध कभी भी मरता नहीं है। अपराध को सूचित करने के बारे में कई प्रावधान हैं। राज्‍यसभा चुनाव के दौरान हमने चुनाव आयोग के निर्देश पर तत्‍कालीन पुलिस अधिकारी अनुराग गुप्‍ता पर प्रथमिकी का निर्देश दिया। मुख्‍य सचिव राजबाला वर्मा पहले गृह सचिव थीं, तीन साल तक मामला दर्ज नहीं हुआ था। प्राथमिकी ली जायेगी या नहीं, फैसला कोर्ट करेगा या चुनाव आयोग। न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में भी चुनाव आयोग का अतिक्रमण होगा। किस मामले में कोर्ट का क्‍या फैसला देना है आयोग तय करेगा क्‍या। दसवीं अनुसूची में देखा बाबूलाल मरांडी के मामले में, चुनाव आयोग ने फैसला कर दिया कि पार्टी का विलय हो गया। दसवीं अनुसूची विधानसभा के अध्‍यक्ष का विशेषाधिकार है। उन्‍हीं के न्‍यायालय में फैसला होगा। उस फैसले को नहीं मानता है तो उच्‍च न्‍यायालय जायेगा। यह इंटरवेंशन का कौन सा रूप है। क्‍या चुनाव आयोग तय करेगा कि हमारी धोती-साड़ी या दूसरी योजनाएं चल रही है चलेगी या नहीं चलेगी। आयोग का पूर्ण सम्‍मान करते हुए बार बार आग्रह करते हैं कि भाजपा के अग्रणी संस्‍थान के रूप्‍ में आप मत आइए। देश के करोड़ों मतदाता आप पर भरोसा करते हैं। समय ड्यू हो गया है मगर उत्‍तर प्रदेश में कुछ बड़ी बड़ी योजनाएं चल रही हैं। जो इस माह तक प्रधानमंत्री के द्वारा उद्घाटन होते रहेंगे। सरकारी कार्यक्रम के तहत, उसमें चुनाव प्रचार होगा। पार्टी के सिंबल का फ्लैग लहरेगा। चुनाव आयोग मौन है। सरकारी धन पर चुनाव प्रचार चल रहा है उस पर मौन है मगर हमारे यहां क्‍या करना पड़ेगा उस पर पूरा मुखर है। इसलिए हमलोग चुनाव आयोग के इस फैसले का विरोध करते हैं। आग्रह करते हैं कि वे अपने इस तरह के फैसले को न दोहराये। आयोग के निर्देश पर देवघर डीसी भजंत्री को हटाने या अदालत जाने से जुड़े सवाल पर झामुमो महासचिव ने कहा कि यह सरकार का मामला है। पार्टी का जो स्‍टैंड है मैने कह दिया।
इधर कांग्रेस प्रवक्‍ता राजीव रंजन सिंह ने कहा कि देवघर उपायुक्‍त पर आयोग का फैसला उसकी निष्‍पक्षता पर सवाल है। राज्‍यसभा चुनाव के दौरान जब एक पुलिस अधिकारी पर आयोग के ही निर्देश पर तीन साल बाद प्राथमिकी दर्ज हो सकती है तो किसी पर तीन माह के बाद क्‍यों नहीं हो सकती।

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