देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल और झारखण्ड में सबसे लंबी छह साल से अधिक की पारी खेलने वाली राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू सोमवार को वापस अपने गृह प्रदेश ओडिशा लौट गईं। शानदार कार्यकाल के बावजूद जाते-जाते शायद उन्हें बेहतर महसूस नहीं हुआ होगा। जिनके विरोधी के रूप में उनकी पहचान थी वे तमाम लोग आये मगर अपने लोग यानी भाजपा के अधिसंख्य बड़े नेताओं ने औपचारिक विदाई देने तक नहीं आये या कहें परहेज किया। ये वही नेता थे जो हर छोटी-बड़ी घटना पर हेमन्त सरकार को घेरेने के लिए शिष्टमंडल लेकर राजभवन पहुंच जाते थे।
हाल के दिनों में राज्यपाल और हेमन्त सरकार के बीच तल्खिां बढ़ने की खबर खूब निकल रही थीं। कुछ मौकों पर तो सत्ताधारी झामुमो ने खुलकर राज्यपाल की भूमिका पर तीखी टिप्पणी की थी। ट्राइवल एडवाइजरी कमेटी में सदस्यों के मनोनयन से राज्यपाल की भूमिका को खत्म करना हो, आदिवासी महिला दरोगा रूपा तिर्की की मौत और भाजपा के शिष्टमंडल के मिलने के बाद राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का पुलिस महानिदेशक को बुलाकर निर्देश देना, कोल्हान विवि में सीनेट और सिंडिकेट सदस्यों के मनोनयन में भाजपा से जुड़े लोगों को तरजीह देना, कुलपतियों को सेवा विस्तार देना जैसे मसलों पर तीखापन बढ़ता रहा।
राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के विदाई का समय आया तो मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और राज्यपाल के भाव और संबोधनों से लगा कि उनके बीच रिश्तों में कोई कड़ुवाहट ही नहीं थी। मुख्यमंत्री ने राजभवन जाकर राज्यपाल से शिष्टाचार मुलाकात की। राज्य सरकार की ओर से सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया। हेमन्त सोरेन अपने कैबिनेट के सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री आवास में भोज का आयोजन किया। राज्यपाल के काम की तारीफ की। कहा कि राज्यपाल ने बेहतर मार्गदर्शन और समन्वय से राज्य में गुड गवर्नेंस का बेहतरीन उदाहरण पेश किया। उनके व्यवहार, काम की तारीफ की। झामुमो सुप्रिमो शिबू सोरेन पत्नी के साथ शामिल हुए तो विधानसभा अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो भी मौजूद थे। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री अपनी पत्नी के साथ विदा करने एयरपोर्ट भी पहुंचे।
नये राज्यपाल की तैनाती की खबर आने के बाद राजभवन का दरवाजा एक प्रकार से आम लोगों के लिए खुला सा था। विश्वविद्यालयों के कुलपति, सेवा निवृत्त पूर्व पुलिस महानिदेशक, वार्ड पार्षद, चेंबर ऑफ कॉमर्स, प्रांतीय मारवाड़ी मंच से चिकित्सक से लेकर वार्ड पार्षद तक ने मुलाकात की। नहीं आये तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी, रांची के भाजपा सांसद संजय सेठ, पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास और दूसरे बड़े भाजपा नेता। हां केंद्रीय आदिवासी कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, रांची की मेयर आशा लकड़ा ने मुलाकात की। भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव भी गये थे रांची विवि के पूर्व सीनेट सदस्य के रूप में। प्रतुल कहते हैं कि भाजपा के लोगों की तो हमेशा मुलाकात होती रहती थी। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, मेयर आशा लकड़ा मिली थीं। विधायक दल नेता बाबूलाल मरांडी संताल के इलाके में तो रघुवर दास जमशेदपुर में थे। बहरहाल भाजपा नेताओं की इस बेरुखी पर राजनीतिक हलकों में उपेक्षा की वजहों को लेकर सवाल तैरने लगे हैं। रघुवर सरकार में सीएनटी-एसपीटी एक्ट को राज्यपाल द्वारा वापस करना इतनी बड़ी वजह नहीं हो सकती। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि भीतर ही भीतर हेमन्त सरकार ने बढ़ती निकटता इसकी बड़ी वजह हो सकती है। लोग वजह जानना चाहते हैं।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    