खतियानी जोहार यात्रा पर गिरिडीह पहुंचे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभा को संबोधित करते हुए संताली भाषा में कहा कि मरांग बुरू हमारा था, हमारा है, हमारा रहेगा। दरअसल दुनिया में जैन धर्मावलंबियों के सबसे पवित्र स्थल सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किए जाने पर देश भर में उबाल रहा। उसी पारसनाथ को आदिवासी अपना देवता मरांग बुरु मानते हैं। सम्मेद शिखर की तराई में संतालों के तीन दर्जन से अधिक गांव हैं।
हेमंत सोरेन ने कहा कि पारसनाथ पहाड़ स्थित जैन तीर्थ सम्मेद शिखर पर विवाद भाजपा का हिडेन एजेंडा है। भाजपा जैनियों और आदिवासियों को लड़ाने की साजिश रच रहे हैं।
आदिवासी हितों को लेकर उन्होंने अधिकारियों पर भी गुस्सा निकाला। गिरिडीह पुलिस और अर्धसैनिक बलों को चेतावनी देते हुए कहा कि तीर-धनुष और नगाड़ा आदिवासियों की पंरपरा है और राज्य में एक आदिवासी मुख्यमंत्री है तो यह कतई बरर्दाश्त नहीं होगा कि आदिवासियों की पंरपरा से गिरिडीह पुलिस खिलवाड़ करे। ऐसा हुआ तो आनेवाले दिनों में गिरिडीह पुलिस को कड़े अंजाम भुगतने होंगे।
हेमंत सोरेन ने कहा कि वे दो दिनों से गिरिडीह में हैं और इन दो दिनों में सिर्फ एक ही शिकायत सामने आयी है कि स्थानीय पुलिस और अर्धसैनिक बल नक्सली के नाम पर आदिवासियों के घर घुस कर उनके तीर-धनुष और नगाड़ों को छीन हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वे नक्सली है तो उसे साबित करें और जेल भेजें बेवजह किसी आदिवासी को परेशान नहीं करें। उनकी पंरपरा के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने केन्द्र की मोदी सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि सम्मेद शिखर विवाद पैदा कर उनकी सरकार को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। अब केन्द्र सरकार के पास जल्द ही सरना कोड को लेकर रिमाइंडर भेजेंगे, दबाव बनाएंगे।