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हेमन्‍त सोरेन की सदस्‍यता खत्‍म, कहा- हम आदिवासियों के डीएनए में डर नहीं, हम लड़ने वाले लोग हैं, विधायकों को एकजुट रखने में जुटे

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्‍त सोरेन द्वारा खुद के नाम माइनिंग लीज लेने मामले में राज्‍यपाल रमेश बैस...
हेमन्‍त सोरेन की सदस्‍यता खत्‍म, कहा- हम आदिवासियों के डीएनए में डर नहीं, हम लड़ने वाले लोग हैं, विधायकों को एकजुट रखने में जुटे

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्‍त सोरेन द्वारा खुद के नाम माइनिंग लीज लेने मामले में राज्‍यपाल रमेश बैस ने अपना फैसला सुना दिया है। सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग के मंतव्‍य पर राज्‍यपाल ने विधानसभा से सदस्‍यता समाप्‍त करने के मामले में अपनी सिफारिश के साथ पत्र चुनाव आयोग को शनिवार को भेज रहे हैं। अब आयोग इस संबंध में अधिसूचना जारी करेगा। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की गई है। अभी तक यह भी स्‍पष्‍ट नहीं है कि राज्‍यपाल ने सिर्फ सदस्‍यता समाप्‍त करने को लिखा है या आगे चुनाव लड़ने को लेकर भी कुछ है।

दरअसल राजभवन से पत्र भेजे जाने में हो रहे विलंब को लेकर कयास लगाया जा रहा है कि राज्‍यपाल 'संभावना' तो नहीं तलाश रहे। इधर मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने अपने ऊपर हो रहे आक्रमण को लेकर केंद्र पर हमलावर हैं। ट्वीट लगातार ट्वीट किया, कहा '' यह आदिवासी का बेटा है। इनकी चाल से हमारा न कभी रास्‍ता रुका है न हमलोग कभी इन लोगों से डरे हैं। हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही हमारे मन से डर-भय निकाल दिया है। हम आदिवासियों के डीएन में डर और भय के लिए कोई जगह नहीं है।

केंद्र सरकार और भाजपा ने जितना कुचक्र रचना है रच ले कोई फर्क नही पड़ता। मैं आदिवासी का बेटा हूं। झारखंड का बेटा हूं। हम डरने वाले नहीं लड़ने वाले लोग हैं। भाजपा के नालायकों ने 20 वर्षों तक राज्‍य को खोखला करने का काम किया। आदिवासियों, मूलवासियों, पारा शिक्षकों, आंगनबाड़ी दीदियों, सरकारी कर्मचारियों, महिला, युवा किसानों, बुजुर्गों को इन्‍होंने सिर्फ लाठी डंडा दिया। हमारी सरकार आयी , हमने संवेदनशीलता के साथ-साथ अधिकार देना शुरू किया।'' हेमन्‍त की सदस्‍यता को लेकर चल रहे जोड़घटाव के बीच शु्क्रवार को नेतरहाट में विकास मेला सह परिसंपत्ति वितरण कार्यक्रम में भी वे इसी अंदाज में केंद्र सरकार और भाजपा पर आक्रामक रहे। यह भी कहा कि हमने अपना एक लाख 36 हजार करोड़ क्‍या मांगा परेशान करने के लिए हमारे पीछे एजेंसियां लगा दी गईं।

बहरहाल माइनिंग लीज के मामले में विधानसभा से हेमन्‍त सोरेन की सदस्‍यता समाप्‍त करने का मामला बड़ा दिलचस्‍प है। चुनाव आयोग से राजभवन सीलबंद लिफाफे में पत्र आया मगर और अब राजभवन से आयोग जाने की प्रक्रिया में है। मगर दो पक्षों के बीच बंद लिफाफे का मजमून सार्वजनिक हो गया। हद तो तब हो गई जब लिफाफा राजभवन भी नहीं पहुंचा था और भाजपा के गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे ने अपने ट्वीटर पर संदेशा डाल दिया। तो रघुवर दास को पराजित करने वाले निर्दलीय विधायक सरयू राय ने तो एक कदम आगे बढ़कर एक दिन पहले ट्वीट किया ''चुनाव आयोग ने हेमन्‍त सोरेन द्वारा खनन पट्ट लेना पद का लाभ लेना माना है और इन्‍हें अयोग्‍य ठहराने की अनुशंसा की है। पद का लाभ भ्रष्‍ट आचरण है या नहीं यह राज्‍यपाल को देखना है। भ्रष्‍ट आचरण होने पर शून्‍य से पांच साल तक चुनाव लड़ने से अयोग्‍य ठहराने का प्रावधान है। इंतजार कल तक।'' न्‍यूज पोर्टलों पर भी खबर तैरने लगी तो हेमन्‍त सोरेन की ओर से आपत्ति भी जाहिर की गई। यह भी कहा कि हेमन्‍त के विकल्‍प सिर्फ हेमन्‍त हैं।

आपत्ति अपनी जगह है मगर हेमन्‍त सोरेन को भी केंद्र की गतिविधियां और चुनाव आयोग के फैसले की तासीर का भान हो गया था। नतीजा है कि वे लगातार अपने विधायकों को एकजुट करने में जुटे हैं। एक सप्‍ताह पहले यूपीए विधायकों की बैठ हुई है। खबर वायरल होने और राज्‍यपाल के 25 अगस्‍त को राज्‍यपाल रमेश बैस लौटे तो झामुमो की बेचैनी बढ़ गई।

हेमन्‍त ने कहा उन्‍हें चुनाव आयोग या राज्‍यपाल का पत्र नहीं मिल है मीडिया के प्‍लेटफार्म से ही जानकारी मिली है। कहा कि प्रतीत होता है कि भाजपा के एक सांसद और गोदी मीडिया व भाजपा ने आयोग की रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है। हालांकि अगले ही दिन 26 अगस्‍त को दिन में 11 बजे और शाम 7 बजे दो दौर में यूपीए विधायकों की बैठक मुख्‍यमंत्री आवास में हुई। शनिवार को भी 11 बजे से बैठक हुई। और एकजुटता जाहिर की गई। राजभवन की सिफारिश का पत्‍ता खुलने के बाद चीजें और स्‍पष्‍ट होंगी। तत्‍काल हेमन्‍त में यूपीए विधायकों ने एकजुटता दिखाई है। पहला कदम आदेश को उपरी अदालत में चुनौती दी जायेगी, स्‍थगनादेश हासिल करने की कोशिश होगी। दूसरा इस्‍तीफा देकर पुन: हेमन्‍त को नेता चुन लिया जायेगा। तब छह माह के अंदर उन्‍हें पुन: विधानसभा चुनाव जीतकर आना होगा। विकल्‍प के रूप में हेमन्‍त का अपनी पत्‍नी कल्‍पना सोरेन पर सर्वाधिक भरोसा है। हालांकि नाम झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन, पार्टी के वरिष्‍ठ नेता चंपई सोरेन का भी है।

वैकल्पिक नामों पर तब विचार की संभावना है जब चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध की बात होगी। कल्‍पना सोरेन के नामों पर परिवार में विवाद की संभावना है। छोटा भाई बसंत सोरेन और बड़े भाई स्‍वर्गीय दुर्गा सोरेन की पत्‍नी सीता सोरेन भी विधायक हैं। बसंत की सदस्‍यता पर भी आयोग में सुनवाई चल रही है। सीता सोरेन का तेवर पहले से हेमन्‍त सोरेन के प्रति तल्‍ख रहा है। शिबू सोरेन से सीता की निकटता है। ऐसे में हेमन्‍त के लिए सीता सोरेन भी अनुकूल नहीं दिख रहीं। हालांकि अपनी सदस्‍यता पर मंडराते खतरे को देखते हुए हेमन्‍त सोरेन लगातार जनहित के फैसले करते रहे मानों चुनाव भी हो तो कोई चिंता नहीं।

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