पशुपालन घोटाला मामले में सजायाफ्ता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को रिम्स निदेशक के बंगले में शिफ्ट करने और वहां से पेईंग वार्ड में ले जाने तथा जेल मैनुअल के मामले में सरकार हाई कोर्ट को संतुष्ट नहीं कर सकी। अब इस मामले की सुनवाई आठ जनवरी को होगी। दोनों मुद्दों को लेकर विपक्ष पहले से सरकार पर आक्रामक रहा है। अदालत में सुनवाई की बारी आई तो अपर महाधिवक्ता मुख्य न्यायाधीश की पीठ के सामने ठीक से उत्तर नहीं दे सके। रांची उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपरेश कुमार की अदालत में शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हुई। जवाब से असंतुष्ट अदालत ने कहा कि वरीय अधिकारियों से ठीक से जवाब लेकर अदालत को बतायें।
पिछली सुनवाई के दौरान ही अदालत ने कैदियों से मिलने की प्रक्रिया और उनकी सुरक्षा से संबंधित स्टैंडर्ड ऑपरेशनल प्रोसेडियोर पेश करने को कहा था। अदालत ने पूछा कि किसके आदेश पर लालू प्रसाद को रिम्स निदेशक के बंगले में शिफ्ट किया गया और किसके आदेश पर वापस पेईंग वार्ड में ले जाया गया। लालू प्रसाद के सेवादार की नियुक्ति की प्रक्रिया क्या है और बिना अनुमति कोई उनसे मिलता है तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है। कारा महानिरीक्षक, जेल आधीक्षक और रिम्स प्रबंधन की ओर से अदालत में रिपोर्ट पेश की गई थी।
बता दें कि रिम्स का पेईंग वार्ड हो या निदेशक का केली बंगला जहां लालू प्रसाद थे तो मुलाकातियों को लेकर अकसर चर्चा में रहते थे। बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान विपक्ष ने इसे मुद्दा बना दिया था। बिहार विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के दौरान एक भाजपा विधायक को फोन कर प्रभावित करने का ऑडियो वायरल हो गया था। तब आनन फानन में उन्हें निदेशक के बंगले से रिम्स के पेईंग वार्ड में शिफ्ट किया गया था।