जब झारखण्ड 16 वां स्थापना दिवस मनाने के जश्न में डूबा था यहां के नेता और अफसरों पर बच्चों के चॉकलेट और टी शर्ट पर नजर थी। एक दिन में कोई पांच करोड़ रुपये के चॉकलेट और टी शर्ट बांट दिये गये। कागज पर। आनन फानन में कैबिनेट की मंजूरी ली गई और मनोनयन के आधार पर आपूर्ति का ठेका दे दिया गया। नौ हजार स्कूलों के बच्चों को न चॉकलेट मिला न टी शर्ट।
विधानसभा में सरयू राय ने इससे जुड़ा सवाल उठाया तो सरकार ने आरोपों को सही माना। सरकार की ओर से उत्तर दे रहे वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि इसकी जांच करायी जायेगी। तीन विभागों से जुड़ा हुआ मामला है। शिक्षा, वाणिज्यकर और परिवहन तीनों विभागों में समन्वय कायम कर जांच करायी जायेगी। टी शर्ट की आपूर्ति का जिम्मा लुधियाना के कुडू फैब्रिक्स को मिला था, इसे रांची, धनबाद और जमशेदपुर में टी शर्ट की आपूर्ति करनी थी। जमशेदपुर की लाल इंटरप्राइजेज को टॉफी की आपूर्ति का जिम्मा मिला था। 35 लाख टॉफी का वितरण किया जाना था। इस पर सदन की समिति से जांच करायी जा सकती है। सरयू राय का कहना था कि प्राप्ति रसीद स्कूलों से ले ली गई। रसीद कंप्यूटर के एक ही फार्मेट और एक ही व्यक्ति के हस्ताक्षर वाले मालूम होते हैं। साजिश की बू आ रही है।
जाहिर है नियोजित तरीके से खेल हुआ। पूरे खेल में अफसरों और मंत्री की मिली भगत से इनकार नहीं किया जा सकता।
महालेखाकार ने भी आपत्ति जाहिर की थी मगर तब सरकार ने विशेष कैबिनेट के माध्यम से मनोनयन का हवाला दे एजी को संतुष्ट कर दिया। और नवंबर 2020 में एजी ने इस मामले को समाप्त कर दिया। हाई कोर्ट में जनहित याचिका भी इस पर दायर की गई थी तब अदालत ने कहा था कि जब अदालत में मामला लंबित है कि एजी ने इसका कैसे निबटारा कर दिया। अदालत ने सरकार से सवाल किया था कि सरकार की टेंडर नीति क्या है और क्या पांच करोड़ का टेंडर मनोनयन के आधार पर दिया जा सकता है।