प्रधानमंत्री को संबोधित करते हुए झारखंड के श्रमिकों ने लिखा है, “आज अन्तरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है। इस वर्ष आपकी सरकार ने मनरेगा में हमारी मजदूरी सिर्फ 1 रूपए ही बढ़ाई है। यह देश के करोड़ों मनरेगा मजदूरों के साथ एक धोखा है। एक तरफ सातवें वेतन आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार, अब सरकारी कर्मचारियों के वेतन व पेंशन पर खर्च लाखों करोड़ों रूपए बढ़ गये हैं। वहीं हम मेहनतकश मजदूरों को सिर्फ 01 रूपए की बढ़ोतरी क्यों? मनरेगा में अत्यंत कम मजदूरी एवं मजदूरी भुगतान नहीं होने से मजदूरों की रूचि नरेगा के प्रति नकारात्मक होने लगी है।”
हमसे ज्यादा आपको इस रुपए की जरूरत
प्रधानमंत्री को लिखे इस खत में श्रमिक कहते हैं कि हम इतनी कम बढ़ी हुई मजदूरी को लेकर बहुत चिंतित हैं। हमें लगता है कि आपकी सरकार के पास पैसे की कमी हो रही है, वरना नरेगा की मजदूरी कम से कम राज्य की न्यूनतम मजदूरी तक तो जरूर बढ़ती, (यदि आपको जानकारी न हो, तो झारखण्ड में अभी न्यूनतम मजदूरी 224 रूपये है) इससे कम मजदूरी देना पूरी तरह अन्याय और अवैधानिक है। हमें ऐसा लगता है कि हमसे ज्यादा आपको ही इस 01 रूपये की जरूरत है, आखिर आपकी सरकार के खर्च भी तो इतने सारे हैं। कम्पनियों को कर व अन्य प्रकार की छूट देने और सस्ते दाम पर जमीन व अन्य संसाधन देने में भी तो आपका पैसा जाता होगा? यह सब सोचते हुए हम नरेगा श्रमिकों ने व्यापक पैमाने पर सामूहिक निर्णय लिया है कि हम आपको झारखण्ड राज्य में बढ़ी हुई नरेगा मजदूरी दर अर्थात् 1 (एक) रूपए आपको वापिस कर रहे हैं। आशा है कि हम सब मजदूरों द्वारा लौटाए गये पैसे से आप अपने कम्पनी मालिक दोस्तों व कर्मचारियों को और खुश कर पाएंगे।
पिछले वर्ष भी लौटाए थे 5-5 रूपए
पिछले वर्ष 2016 में भी श्रमिकों ने इसी दिन मनरेगा में झारखण्ड राज्य में मामूली रूप से मजदूरी दर मात्र 5 रूपये बढ़ाये जाने के विरोध में 5-5 रूपए वापिस किये थे। श्रमिकों ने मजदूर दिवस का विरोध का ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री को रूपए लौटाने का निर्णय लिया था। उस दौरान लातेहार झारखंड मनरेगा मजदूर इकाई के श्रमिक मनिका ने कहा था कि हमें लगता है कि इस पांच रुपए की आपको हमसे ज्यादा जरूरत है।