गरीबी और पिछड़ापन के पर्याय आदिवासी बच्चे इंग्लैंड और आयरलैंड में उच्च शिक्षा ग्रहण करने जा रहे हैं। इसी माह ये अध्ययन के लिए विदेश रवाना होंगे। कभी सपने में भी शायद नहीं सोचा होगा कि उन्हें विदेश में अध्ययन कर भविष्य संवारने का मौका मिलेगा। तत्काल छह आदिवासी बच्चों को यह सुनहरा मौका मिल रहा है। अगले साल से यह संख्या दस हो जायेगी। दरअसल जनजातीय बहुल प्रदेश झारखंड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन इसी समाज से आते हैं। उन्होंने ने ही इसकी पहल की। छात्रवृत्ति योजना के तहत इन्हें मदद मिलेगी। ट्यूशन फीस सहित उनके रहने एवं अन्य खर्च वहन सरकार करेगी। यह देश की पहली ऐसी योजना है और झारखण्ड देश का पहला राज्य है, जो आदिवासी समाज के छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दे रहा है। अपनी सरकार के गठन के एक साल पूरा होने पर कैबिनेट की मंजूरी लेते हुए पिछले साल 29 दिसंबर को रांची के मोरहाबादी मैदान में एक कार्यक्रम के दौरान हेमन्त सोरेन ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा स्कॉलरशिप स्कीम का विधिवत उद्घाटन किया था। जिसके पश्चात 7 मार्च को स्कॉलरशिप स्कीम के योग्य लाभुकों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे। आवेदन प्राप्ति के लिए इस वर्ष 6 छात्रों का चयन किया गया है।
ये छात्र जायेंगे विदेश अध्ययन को
स्कॉलरशिप के लिए चयनित छात्रों में हरक्यूलिस सिंह मुंडा, यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के स्कूल ऑफ ओरिएन्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज में एमए की पढ़ाई करने जा रहे हैं। अजितेश मुर्मू यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन में आर्किटेक्चर में एमए की पढ़ाई करेंगे। आकांक्षा मेरी का चयन लॉ बॉर्ग यूनिवर्सिटी में क्लाइमेट चेंज साइंस एंड मैनेजमेंट में एमएससी के लिए हुआ है। दिनेश भगत यूनिवर्सिटी ऑफ सस्सेक्स में क्लाइमेट चेंज, डेवलपमेंट एंड पॉलिसी में एमएससी की पढ़ाई करेंगे। इसके अतिरिक्त अंजना प्रतिमा डुंगडुंग यूनिवर्सिटी ऑफ वार्विक में एमएससी तथा प्रिया मुर्मू लॉ बॉर्ग यूनिवर्सिटी में क्रिएटिव राइटिंग एंड द राइटिंग इंडस्ट्रीज में एमए की पढ़ाई के लिए चयनित हुई हैं।
गुरुवार 23 सितंबर को रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन और कल्याण मंत्री श्री चंपई सोरेन मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना से लाभान्वित छात्रों एवं उनके माता-पिता को सम्मानित करेंगे।
विदेश में पढ़नेवाले पहले आदिवासी थे जयपाल सिंह
बता दें कि वर्ष 1922 से 1929 के बीच इंग्लैंड के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले पहले आदिवासी छात्र थे जयपाल सिंह मुंडा। बाद में उन्होंने 1928 में हुए एमर्स्डम ओलंपिक में भारतीय राष्ट्रीय हॉकी टीम का भी प्रतिनिधित्व किया था और टीम ने गोल्ड मेडल जीता था। आज लगभग 100 वर्ष बाद मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की स्मृति एवं सम्मान में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आदिवासी छात्रों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए सहयोग हेतु इस स्कॉलरशिप योजना की शुरुआत की है।