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झारखंड: दलीय आधार पर नहीं हो रहा पंचायत चुनाव, जानें- लेकिन भाजपा क्यों दे रही कार्यकर्ताओं को इस तरह के निर्देश

सत्‍ता की पहली सीढ़ी, गांवों की सरकार यानी पंचायत चुनाव झारखंड में दलीय आधार पर नहीं हो रहे मगर भाजपा...
झारखंड: दलीय आधार पर नहीं हो रहा पंचायत चुनाव, जानें- लेकिन भाजपा क्यों दे रही कार्यकर्ताओं को इस तरह के निर्देश

सत्‍ता की पहली सीढ़ी, गांवों की सरकार यानी पंचायत चुनाव झारखंड में दलीय आधार पर नहीं हो रहे मगर भाजपा अपने कैडर को पंचायत चुनाव को लेकर निर्देश दे रही है। दरअसल निचले स्‍तर के कार्यकर्ताओं को समर्थन दे भाजपा चुनाव के पहले अपनी टीम को मजबूत कर लेना चाहती है। यहां दिसंबर माह में चुनाव की तैयारी चल रही है। राज्‍य निर्वाचन आयोग ने चुनाव को ले अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं।

इस साल के प्रारंभ में झारखंड में पंचायत चुनाव दलीय आधार पर कराने की हवा बहनी शुरू हुई थी दरअसल फरवरी के मध्‍यम में त्रिस्‍तरीय पंचायत चुनाव को लेकर झामुमो के माउथपीस समझे जाने वाले झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा था कि झामुमो दलीय आधार पर पंचायत चुनाव का पक्षधर है। सरकार को इस पर इसके स्‍टेक होल्‍डर्स के साथ विमर्श कर निर्णय करना चाहिए। स्‍थानीय निकाय के चुनाव में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता और छोटे-छोटे संगठनों के लोग चुनाव लड़ते हैं ऐसे में इनकी राय जरूरी है। सुप्रियो पार्टी और सरकार से जुड़ी नीतियों पर बोलते रहे हैं। ऐसे में इनके बयान को गंभीरता से लिया जा रहा था। पंचायत चुनाव तो दलीय आधार पर करने का निर्णय नहीं हुआ बल्कि सुप्रियो के बयान के कुछ माह बाह हेमन्‍त सरकार ने रघुवर सरकार का फैसला बदलते हुए शहरी निकायों का चुनाव भी दलीय आधार पर न कराने का फैसला कर लिया। झारखंड में पहली बार भाजपा की रघुवर सरकार के समय शहरी निकायों के चुनाव में मेयर, डिप्‍टी मेयर, नगर परिषद और नगर पंचायत के अध्‍यक्ष व उपाध्‍यक्ष का चुनाव दलीय आधार पर कराया गया था। इसी अगस्‍त माह में हेमन्‍त कैबिनेट ने शहरी निकायों का चुनाव दलीय आधा पर कराने की व्‍यवस्‍था खत्‍म कर दी। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि दलीय आधार पर चुनाव से भाजपा जैसी कैडर आधारित और वामपंथियों को उनके प्रभाव वाले इलाके में फायदा हो सकता है। दूसरी पार्टियों के साथ ऐसा नहीं है। और एक संकट यह भी है कि निचले स्‍तर पर चुनाव में जाति विशेष के एक उम्‍मीदवार का समर्थन करने पर उसी जाति के तमाम उम्‍मीदवार विरोधी हो जायेंगे। हेमन्‍त के करीबी सलाहकारों ने उन्‍हें इस बिंदु पर समझाया कि नुकसान हो सकता है। इसलिए पंचायत चुनाव तो दूर शहरी निकायों की दलीय चुनाव की व्‍यवस्‍था भी खत्‍म कर दी गई।

बहरहाल, भाजपा पंचायत चुनाव में दलीय नाक घुसेड़ रही है। मंगलवार को कोडरमा में कार्यकर्ता सम्‍मेलन के दौरान प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष दीप प्रकाश ने पंचायत चुनाव में पार्टी समर्थित कार्यकर्ताओं की जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया। कहा कि पंचायत चुनाव को लेकर कहा कि प्रदेश में जल्‍द पंचायत चुनाव हो इसके लिए भाजपा ने संघर्ष किया। इसी संघर्ष के दबाव में सरकार को पंचायत चुनाव कराने का निर्णय करना पड़ा है। उन्‍होंने कार्यकर्ताओं का आह्वान किया कि वे जिले के सभी जिला परिषद सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध होकर चुनाव की तैयारी करें। पंचायत चुनाव में भाजपा आपसी सहमति बनाकर चुनाव लड़ेगी। भाजपा समर्थित ससदस्‍यों को जिला परिषद चुनाव में जीत दिलाने का कार्यकर्ताओं से आह्वान किया। तो रघुवर सरकार में मंत्रियों में नंबर दो की हैसियत रखने वाले अमर बाउरी क्‍यों पीछे रहते। वाराणसी में अनुसूचित जाति मोर्चा की राष्‍ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में हिस्‍सा लेकर लौटे झारखंड अनुसूचित जाति मोर्चा के अध्‍यक्ष अमर बाउरी ने मोर्चा के प्रदेश पदााधिकारियों की बैठक में पंचायत चुनाव का मंत्र दिया। कहा कि राज्‍य में पंचायत चुनाव होने हैं। अनेक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। मगर राज्‍य में जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने से प्रत्‍याशियों को काफी परेशानी होने वाली है। वैसे युवाओं को भी दिक्‍कत आ रही है जिन्‍हें नौकरी में आरक्षण का लाभ लेना है। मगर सरकार कोई पहल नहीं कर रही। उन्‍होंने सरकार से मांग की कि पंचायत चुनाव के पहले राज्‍य सरकार जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया शुय करे। आंदोलन की रूप रेखा पर भी विमर्श हुआ। बहरहाल दलीय आधार पर पंचायत चुनाव न होने के बावजूद भाजपा की दिलचस्‍पी कुछ कहता है। वैसे दिलचस्‍पी दूसरे दलों के लोग भी दिखा रहे हैं।

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