झारखंड के पाकुड़ में पदस्थापित फॉरेस्ट रेंजर अपने एक्शन को लेकर चर्चा में हैं। एक तरफ उन्होंने एक माल गाड़ी को इंजन सहित जब्त कर लिया तो दूसरी तरफ जनहित याचिका दायर कर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया है। नाम है अनिल कुमार सिंह। हौसला देखिये जनहित याचिका में मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और वन विभाग के प्रधान सचिव को पार्टी बना दिया है।
बात माल गाड़ी की करें तो सोमवार दिन में पाकुड़ के लोटामारा कोयला साइडिंग में बिना ट्रंजिट परमिट कोयला लोड करने के आरोप में मालगाड़ी को इंजन सहित जब्त कर लिया। मालगाड़ी के 32 डिब्बों में कोयला लदा था और 27 डिब्बे खाली थे। एक डिब्बे में 58 मीट्रिक टन कोयला था। कोयला का ट्रांजिट परमिट नहीं था। माल गाड़ी लोटामारा कोयला साइडिंग में खड़ी है। गाड़ी को गार्ड के हवाले कर दिया गया है। बिना परमिट कोयला परिवहन पर विभाग ने रोक लगा रखी है। इसके बावजूद वेस्ट बंगाल पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन कोयला परिवहन करवा रहा था। रेंजर ने कार्रवाई की सूचना अपने वरीय अधिकारियों को दे दी है।
बात अनिल सिंह के पीआइएल की करें तो तो उन्होंने पाकुड़ में वन प्रमंडल पदाधिकारी की पोस्टिंग लंबे समय से न होने को लेकर की है। वन प्रमंडल पदाधिकारी न होने के कारण गाड़ियों में तेल डालना मुश्किल हो गया है। इससे औचक निरीक्षण, अवैध माइनिंग की निगरानी आदि का काम ठप है। दैनिक मजदूरी, कंप्यूटर ऑपरेटरों आदि का भुगतान नहीं हो पा रहा है। वरीय अधिकारियों को सूचना देने के बावजूद कार्रवाई नहीं होने पर उन्हेंने जनहित याचिका की मदद ली। और मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, वन एवं पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव को भी पार्टी बना दिया। खैर, बात अनिल सिंह की करें तो वे भी कोई साफ-सुथरे नहीं हैं।
स्थानीय प्रभात खबर के अनुसार लापरवाही और गड़बड़ी के कारण उन पर तीन मामले चल रहे हैं। पांच सालाना वेतन वृद्धि भी रोकी जा चुकी है। हजारीबाग में तैनाती के दौरान पौधे की सर्वाइवल को ले उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है। बरही में पोस्टिंग के दौरान बायोमेट्रिक्स से हाजिरी नहीं बनाने और दुमका में दूसरा राजभवन बनाने के प्रस्ताव के खिलाफ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पैरवी करने का भी मामला है।