झारखंड में दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं ने राज्य सरकार की परेशानी बढ़ा दी है। विपक्ष इस मुद्दे पर आक्रामक हो गया है। खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इलाके में कुछ घटनाएं घटीं तो प्रशासन पर दबाव बढ़ा। इधर सोमवार को राज्य के पुलिस महानिदेशक एमवी राव से राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने कानून-व्यवस्था की जानकारी ली और दुष्कर्म की घटनाओं पर अपनी गंभीर चिंता जाहिर की। दुमका में 17 लोगों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म के मामले पर राज्यपाल ने ज्यादा चिंता जाहिर करते हुए आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी का निर्देश दिया।
दुष्कर्म की घटनाओं को टालने में पुलिस प्रशासन विफल रहा तो अब उसके गणित जुटा रहा है। पुलिस मुख्यालय अब दुष्कर्म के मामले में पृष्ठभूमि जुटा रहा है। पीड़िता की आर्थिक, शैक्षणिक स्थिति कैसी थी, आरोपी की आर्थिक स्थिति कैसी थी। घटना स्थल पीड़िता का घर था या अभियुक्त का घर या फिर पीड़िता का कार्य स्थल जहां वह मवेशी चराने, खेती करने, सब्जी बेचने, लकड़ी चुनने या इसी तरह के काम करने जाती थी। आरोपी के साथ उसका संबंध क्या था, परिचित था या अपरिचित, जाति और उम्र के साथ यह भी सूचना मांगी गई है कि दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई क्या। थाना, केस नंबर और तारीख के साथ ब्योरा मांगा गया है। पुलिस मुख्यालय ने हेमंत सरकार के शासन यानी 2020 के जनवरी से ब्योरा जिलों से मांगा है। पुलिस मुख्यालय के एक अधिकारी ने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक विश्लेषण से शायद कोई रास्ता निकले।
इसी माह आठ दिसंबर को दुमका मुफस्सिल थाना क्षेत्र में एक 34 वर्षीय महिला के साथ 17 लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने देश में बदनामी कराई है। यह मुख्यमंत्री का गृह जिला है। इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे , जहां से इस्तीफा के बाद उनके भाई बसंत सोरेन विधायक हैं। नवंबर महीने में भी दुममा में पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। उसी दौरान मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र बरहेट विधानसभा में पांच लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी थी। हालांकि पांचों को पुलिस ने तत्काल पकड़ लिया था। उसी दौरान गुमला में 14 साल की आदिवासी बच्ची को घर से अगवा कर पांच लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था। घटनाएं और भी हैं। विभिन्न जिलों से आये दिन इस तरह की घटनाएं आती रहती हैं। इनमें ज्यादातर आदिवासी समाज की महिलाएं, बच्चियां शिकार होती हैं। अनेक मामलों में मुख्यमंत्री के तत्काल हस्क्षेप के बाद पुलिस तेजी से कार्रवाई करती है। इस तरह के मामलों का स्पीडी ट्रायल कराकर त्वरित सजा दिलाने का मुख्यमंत्री का निर्देश है।
वैसे दुष्कर्म की बढ़ती घटनाओं पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पूर्व में कहा था कि कोरोना काल में कई जीचें बदल रही हैं .......लोगों की मनोवृत्ति भी बदल रही है। लोग अजीब तरीके से व्यवहार कर रहे हैं। इसका भी प्रभाव बलात्कार जैसी घटनाओं पर हो सकता है। ऐसी घटनाएं रिश्तेदार, यार-दोस्त के बीच , घरेलू झगड़ा और जमीन जायदाद को लेकर भी हो रही हैं। उस दौरान भी भाजपा ने मुख्यमंत्री के बयान को लेकर तीखा आक्रमण किया था। इधर दुष्कर्म की घटनाओं को लेकर भाजपा लगातार आक्रामक है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता पतुल शाहदेव कहते हैं कि इस साल सितंबर तक राज्य में दुष्कर्म की 1359 घटनाएं घटीं। पुलिस मुख्यालय ने अक्टूबर और नवंबर माह का आंकड़ा अपलोउ नहीं किया है। सरकार आंकड़ों को दबा अपनी नाकामी छुपा रही है। गिरिडीह के एक मामले में हाई कोर्ट तल्ख टिप्पणी कर सरकार की फजीहत कर चुका है।