विधानसभा चुनाव में अपनी ही सीट के साथ सत्ता गंवाने के बाद पार्टी के भीतर अपनी जगह बनाने में संघर्षरत झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री की परेशानियां और बढ़ सकती हैं। सत्ता छिनने के बाद कमजोर हुए रघुवर दास पहले से अपनी ही पार्टी के सूबे के बड़े आदिवासी नेताओं को खटकते रहते थे। अब विपक्ष उन्हें घेरने की कोशिश में जुट गया है।
रघुवर कैबिनेट में ही सदस्य रहे सरयू राय ने पहले उन्हें कड़ी चुनौती दी। सरकार में रहते उन्हें घेरते रहते थे। तीखापन बढ़ा तो भाजपा छोड़ रघुवर दास के खिलाफ ही जंग में उतर गये और पछाड़ भी दिया। हराने के बावजूद सरयू राय का आक्रमण कम नहीं हुआ। रांची में टाउन प्लानिंग में लम्हों की खता नाम से मैनहर्ट घोटाले पर अदालती आदेश और सरकारी फाइलों की टिप्पणियों पर केंद्रित किताब ही लिख डाली। दो दिन पूर्व सरयू राय ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रघुवर काल में हुए राज्य स्थापना दिवस समारोह 2016 एवं 2017 के मौके पर टॉफी, टी शर्ट, गीत-संगीज और साज-सज्जा घोटाला की एसीबी या सीबीआइ से जांच की मांग की है। इस तरह के आरोप भरे पत्र सरयू राय लगातार लिखकर जांच की मांग करते रहे हैं।
सत्ता संभालने के तत्काल बाद हेमन्त सरकार ने मैनहर्ट घोटाल के नाम से चर्चित सीवरेज-ड्रेनेज के डीपीआर से संबंधित घोटाले की जांच एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) को सौंप दी। कंबल घोटाले की भी निगरानी जांच चल रही है। राज्यसभा चुनाव में हॉर्स ट्रेडिंग मामले में भी रघुवर दास को घेरा है। मामले और भी हैं।
सरयु राय के जारी आक्रमण के बीच झामुमो ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया है। रघुवर सरकार के कार्यकाल में हुए काम की जांच के लिए आयोग गठित करने की मांग अपनी ही सरकार से कर दी है। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि रघुवर सरकार में मंत्री रहे सरयू राय ने रघुवर दास पर 50 से अधिक भ्रष्टाचार के आरोप लगाये हैं। 35 लाख रुपये के चॉकलेट घोटाला से लेकर 3500 करोड़ रुपये के घोटाले के गंभीर आरोप हैं। इनमें बहुचर्चित मैनहर्ट घोटाला, खनिज घोटाला, कंबल घोटाला, मोमेंटम घोटाला, मोमेंटम में रोजगार घोटाला, नक्सलियों की सरेंडर पॉलिसी में घोटाला, सिंचाई योजना घोटाला, पतरातू थर्मल घोटाला, नियुक्ति घोटाला, अडानी पावर घोटाला, फ्लाईओवर घोटाला, लैंड बैंक घोटाला, टीशर्ट घोटाला, विदेश भ्रमण घोटाला, आइपीआरडी घोटाला जैसे मामले शामिल हैं। विधानसभा के नये भवन निर्माण, उच्च न्यायालय के भवन निर्माण, बिरसा मुंडा जेल उद्यान के सौंदर्यीकरण, अर्बन हाट, स्किल डेवलपमेंट सेंटर जैसी योजनाओं में बड़े पैमाने पर अनियमितता हुई है। कई ऐसे मौके आये हैं जब सरकार को कोई निर्णय करना होता है तो पार्टी की ओर से मांग उठ जाती है। ऐसे में गंभीरता से यह सवाल उठ रहा है कि क्या वास्तव में रघुवर दास के कार्यकाल की जांच किसी आयोग से करायी जायेगी। ऐसा हुआ तो पहले से मुश्किल में चल रहे रघुवर दास की परेशानी और बढ़ सकती है। छोटी-बड़ी बातों पर प्रतिक्रिया देने वाली भाजपा झामुमो के बयान पर खामोश है, ऐसे में रघुवर दास और अकेले पड़ गये महसूस होते हैं।