रांची। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की विधानसभा से सदस्यता को लेकर चुनाव आयोग के संभावित फैसले को लेकर शनिवार को देर तक यूपीए की बैठक चली। मगर बैठक को सरकार ने सूखा और विकास योजनाओं पर केंद्रित दिखा दिया। उसी पर आधारित रिलीज जारी की गई। दरअसल चुनाव आयोग का फैसला प्रतिकूल आने पर विकल्प और आगे की रणनीति पर विमर्श किया जाना था। मगर बैठक से निकलने के बाद सारे मंत्री, विधायक मीडिया से कटते हुए निकल लिये। हां हेमन्त सोरेन के भरोसेमंद उनकी सरकार में शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने इतना भर कहा कि हेमन्त सोरेन मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
कांग्रेस से आने वाले बन्ना गुप्ता विकास योजनाओं और सूखा पर बैठक की बात कहते हुए खिसक लिये। लगता है बैठक में यह रणनीति बनी कि मीडिया के समक्ष कोई मुंह नहीं खोलेगा। हालांकि सामान्य परिस्थिति में इस अंदाज में बैठक का मतलब लोग समझ रहे हैं। यही वजह थी कि विधानसभा अध्यक्ष ने अचानक अपनी कनाडा यात्रा टाल दी। कांग्रेस ने विधायकों को फरमान जारी किया कि सभी रांची में रहेंगे। झामुमो ने अपने विधायकों को निर्देश दिया था कि इतनी दूरी जायें कि चार घंटे के भीतर रांची पहुंच सकें। वैसे बैठक में करीब 40 विधायक पहुंचे। रिलीज में उनके नाम भी गिनाये गये। वैसे सरकार में शामिल पार्टियों में झामुमो के 30, कांग्रेस 18 और राजद के एक विधायक हैं।
कैश कांड में गिरफ्तार हुए कांग्रेस के तीन विधायक डॉ इरफान अंसारी, नमन विक्सल कोंगाड़ी और राजेश कच्छप अभी बंगाल में ही हैं। मांडर से हाल ही उपचुनाव जीतने वाली बंधु तिर्की की पुत्री नेहा, अपने पिता के साथ दिल्ली में थी। वेणु गोपाल से मुलाकात करते हुए बंधु तिर्की ने शनिवार को ही एक ट्वीट किया है। ममता देवी स्वास्थ्य कारणों से हाजिर नहीं हुईं। पूर्णिमा नीरज सिंह की सरकार से पहले से नाराजगी छलकती रही है।
दरअसल हेमन्त की सदस्यता पर संकट गहराता दिखा तो विकल्प के रूप में नाम तैरने लगे। छोटा भाई बसंत सोरेन का मामला भी चुनाव आयोग में अंतिम मुकाम पर है। ऐसे में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन, पिता शिबू सोरेन, भाभी स्वर्गीय दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन का नाम तैरने लगा। वरिष्ठ मंत्री चंपई सोरेन में भी लोग संभावना देखने लगे। शिबू सोरेन की उम्र हो चुकी है और वे अभी राज्यसभा के सदस्य भी हैं। उनके नाम पर झामुमो या कांग्रेस में किसी को आपत्ति नहीं होगी। हालांकि झामुमो के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हेमन्त सोरेन का कोई विकल्प नहीं है। चुनाव आयोग से प्रतिकूल फैसला आता है तो सुप्रीम कोर्ट अभी है। वैसे भी बिना सदन का सदस्य रहे छह माह तक तो मुख्यमंत्री रह ही सकते हैं। चुनाव का नौबत आता है तो उसके लिए भी पार्टी तैयार है। हाल के दिनों में लगातार हेमन्त वोट बैंक और जनहित से जुड़े फैसले करते रहे हैं। दो दिन पहले ही नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को अवधि विस्तार न देने का फैसला किया। आदिवासी, मूल वासी तीन दशक से इसे लेकर संघर्ष कर रहे थे। शिनिवार को ही उन्होंने गुमला में पत्थलगड़ी के 2016 के मामले को खत्म करने और अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ों के आरक्षण में वृदि्ध के लिए कमेटी गठित करने का निर्णय किया। एक दिन पहले ही रांची में सड़कों को लेकर सात हजार करोड़ की योजना का शुभारंभ किया।
इधर यूपीए की गंभीर बैठक के बाद जनसंपर्क विभाग से एक रुटीन बैठक दिखाते हुए बताया कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री आवास में झामुमो, कांग्रेस और राजद के मंत्रियों एवं विधायकों की बैठक हुई। बैठक राज्य के विकास को लेकर कई मायनों में महत्वपूर्ण थी। बैठक में मंत्री एवं विधायकों ने मुख्यमंत्री के साथ क्षेत्रवार कम बारिश की वजह से सुखाड़ की स्थिति पर गहन चर्चा एवं विचार-विमर्श किया। सभी विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि उनके क्षेत्र में विकास कार्यों को लेकर जो समस्याएं आ रही हैं, उनका जल्द समाधान किया जाए। इसके अलावा कई और महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी गहन विचार-विमर्श हुआ। मुख्यमंत्री सभी बिंदुओं पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए सत्ता पक्ष के मंत्रियों एवं विधायकों द्वारा उठाए गए जनहित के मुद्दों पर पूर्ण रूप से राज्य सरकार द्वारा सहयोग किए जाने का भरोसा दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार जन आकांक्षाओं की सरकार है। बिना कोई भेदभाव के राज्य के सभी वर्ग-समुदाय के लोगों के लिए मिलजुल कर काम करना है। राज्य में विकास की गति को तेज करने के उद्देश्य से सरकार की हर योजनाओं को गांव-गांव, घर-घर तथा विकास की बाट जो रहे अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना है।