जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाए जाने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किए जाने के करीब पांच महीने बाद प्रशासन ने कश्मीर में नजरबंद नेताओं को रिहा करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। 36 केंद्रीय मंत्रियों के जम्मू-कश्मीर दौरे से पूर्व वीरवार को पांच नेताओं को रिहा जाने के बाद आज यानी शुक्रवार को प्रशासन ने चार और नेताओं को रिहा कर दिया है। रिहा किए जाने वाले नेताओं में नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस और कांग्रेस का एक-एक नेता शामिल है। कुल मिलाकर इन दो दिनों में नजरबंद नौ कश्मीरी नेताओं को रिहा कर दिया गया है।
चार और नेता किए गए रिहा
शुक्रवार दोपहर रिहा किए गए नेताओं में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पी़डीपी) के नेता अब्दुल हक खान, कांग्रेस नेता हाजी अब्दुल रशीद, नेशनल कांग्रेस नेता नजीर अहमद गुरेजी और पीपुल्स कांफ्रेंस नेता मोहम्मद अब्बास वानी शामिल हैं।
गुरुवार को रिहा किए गए थे पांच नेता
इससे पहले गुरुवार को प्रशासन ने दो पूर्व विधायकों सहित पांच नेताओं को रिहा किया था। ये नेता भी पांच अगस्त को हिरासत में लिए गए थे। इनमें पहलगाम से नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व विधायक अल्ताफ अहमद कालू, नेकां की युवा इकाई के प्रदेश प्रधान, श्रीनगर नगर निगम के पूर्व मेयर सलमान सागर, शौकत गनई, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के पूर्व विधायक निजामदीन बट और मुख्तार बाबा शामिल थे। शुक्रवार को रिहा किए गए नेता अपने-अपने घरों में ही नजरबंद थे। हालांकि उपजेल एमएलए हॉस्टल में अभी हिरासत में रखे नेताओं की संख्या लगभग 21 है।
फिलहाल नजरबंद हैं ये नेता
इसके अलावा हिरासत में रखे गए तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती के अलावा पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट के शाह फैसल फिलहाल बंद ही रहेंगे।
बता दें कि 5 अगस्त के बाद से कश्मीर में संचार के साधनों पर भी भारी पाबंदियां लगाई गई थीं। उस समय तो फोन और इंटनेट पूरी तरह से बंद कर दिया गया था। हालांकि बाद में लैंडलाइन और कुछ मोबाइल सेवाएं शुरू कर दिए गए हैं। कुछ ही समय पहले एसएमएस की सुविधा कुछ नेटवर्क पर शुरू हो गई है। इंटरनेट अभी भी कश्मीर में पूरी तरह से बंद है।