जम्मू-कश्मीर सरकार ने वरिष्ठ पीडीपी नेता और पीडीपी-भाजपा सरकार के पूर्व प्रवक्ता नईम अख्तर के खिलाफ जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत मामला दर्ज किया है। अख्तर जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद 5 अगस्त से हिरासत में हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने भाजपा नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के पश्चिम बंगाल के चुनावी भाषण की आलोचना की थी।
अख्तर को पहले एसकेआईसीसी उपजेल में रखा गया और फिर बाद में अन्य नेताओं के साथ विधायक छात्रावास में शिफ्ट कर दिया गया था। उन पर पिछले हफ्ते पीएसए कानून लगाया गया है। उन पर डोजियर में कई आरोपों में से एक यह है कि उन्होंने भाजपा नेता अमित शाह के पश्चिम बंगाल भाषण का जिक्र किया जिसमें शाह ने हिंदू राष्ट्र के लिए एक खुला आह्वान किया था और भारत के विचार को चुनौती दी थी। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा देश में चुनावी लाभ के लिए एक खतरनाक खेल स्थापित कर रही है और चुनाव जीतने के लिए सांप्रदायिक घृणा का कार्ड खेल रही है।
कट्टरपंथी तत्वों के समर्थक होने का आरोप
डोजियर में आगे कहा गया है कि पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद के परिवार के करीबी अख्तर, ‘कट्टरपंथी तत्वों’ के समर्थक हैं। यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने भारत के खिलाफ जनता को उकसाने के लिए राजनीतिक हलकों में अपने रसूख का इस्तेमाल किया। पूर्व कैबिनेट मंत्री अख्तर ने भाजपा के साथ पार्टी की गठबंधन सरकार के लिए एक प्रवक्ता के रूप में काम किया था, जिन्हें पीडीपी में नंबर दो माना जाता है, लेकिन बाद में वे अलग हो गए थे।
'गिलानी की किताब पढ़ने के लिए किया प्रेरित'
अख्तर पर आरोप है कि उन्होंने लोगों को राज्य के शिक्षा मंत्री रहते हुए कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी की किताब पढ़ने के लिए प्रेरित किया। डोजियर मे कहा गया है कि अख्तर के पास राजनीतिक हलकों के साथ-साथ अन्य संघों में भी काफी दबदबा है जिसके कारण वह हिंसा का सहारा लेने के लिए असंतुष्ट तत्वों को उकसाने और शांति भंग करने के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए बड़े पैमाने पर हिंसा का दुरुपयोग कर रहे हैं।
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने पिछले सप्ताह विवादास्पद पीएसए के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था। इसे उमर अब्दुल्ला की बहन ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।