केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के कपाट को खुले आज तीन दिन हो गए हैं। लेकिन अभी भी यहां पर महिलाओं का प्रवेश नहीं हो पाया है। लगातार तीन दिनों से विभिन्न संगठनों द्वारा मंदिर में महिलाओं को प्रवेश करने से रोका जा रहा है। इस दौरान मंदिर के आस-पास लगातार हिंसा का माहौल बना हुआ है।
शुक्रवार को भी मंदिर के बाहर हंगामा तेज है। इस दौरान भारी सुरक्षा के बीच पुलिस हेलमेट पहनाकर दो महिलाओं को मंदिर की तरफ ले जा रही थी। उन्हें रोकने के लिए प्रदर्शनकारी नारेबाजी और हंगामा कर रहे थे। भारी विरोध के बाद दोनों महिलाओं को आधे रास्ते से वापस लौटा दिया गया, महिलाएं मंदिर के पास पहुंच गई थीं। इनमें हैदराबाद के मोजो टीवी की पत्रकार कविता जक्कल और सामाजिक कार्यकर्ता रिहाना फातिमा शामिल थीं जिन्हें पुलिस पंबा से सन्निधानम ले जा रही थी।
दरअसल, मंदिर के मुख्य पुजारी ने इस बात की धमकी दी कि अगर महिलाएं मंदिर के अंदर आईं तो वह मंदिर बंद कर देंगे। जिसके बाद पुलिस ने भी दोनों महिलाओं को वापस जाने को कहा। पुजारी का कहना था कि अगर महिलाएं मंदिर में प्रवेश करती हैं तो वह मंदिर बंद कर उसकी चाबी मैनेजर को देकर चला जाएगा।
दर्शन के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस में बहस भी हो गई। आईजी श्रीजीत ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि हमें कानून व्यवस्था को ठीक रखना है, मैं भी अयप्पा का भक्त हूं। लेकिन हमें कानून को लागू करना है।
इस बीच सबरीमाला मंदिर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर ऑल केरल ब्राह्मण एसोसिएशन ने पुनर्विचार याचिका भी दाखिल की है।
गुरुवार को भारी तनाव
भगवान अयप्पा मंदिर के पांच दिनी तीर्थयात्रा के दूसरे दिन गुरुवार को भी केरल में तनाव बना रहा। राज्य में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों पर हमले के खिलाफ बंद रखा गया।
हिंसा के लिए भाजपा आरएसएस जिम्मेदार: मुख्यमंत्री
मंदिर में प्रवेश को लेकर हुई हिंसा के लिए राज्य के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं भाजपा ने राज्य की सरकार पर मंदिर की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार केरल के मुख्यमंत्री ने सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लिखा कि “आरएसएस भगवान अयप्पा के पूजा स्थल को आंतक द्वारा नष्ट करने की कोशिश कर रहा है। श्रृद्धालुओं को मंदिर में जाने से रोककर और भय दिखाकर उन्हें वापस भेजना मंदिर को नष्ट करने की आरएसएस की योजना का ही भाग है।“
जबकि भाजपा ने सीपीएम नेतृत्व वाली राज्य की एलडीएफ सरकार पर अयप्पा मंदिर की छवि धूमिल करने का आरोप लगाया है।
क्या है कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में उस प्रावधान को चुनौती दी गई थी जिसके तहत मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयु की महिलाओं के प्रवेश पर अब तक रोक थी। कहा गया कि अगर महिलाओं का प्रवेश इस आधार पर रोका जाता है कि वे मासिक धर्म के समय अपवित्र हैं तो यह भी दलितों के साथ छुआछूत की तरह है। सुप्रीम कोर्ट ने 4-1 के बहुमत से फैसला दिया।
सुनवाई के दौरान केरल त्रावणकोर देवासम बोर्ड की ओर से पेश सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि दुनिया भर में अयप्पा के हजारों मंदिर हैं, वहां कोई बैन नहीं है लेकिन सबरीमाला में ब्रह्मचारी देव हैं और इसी कारण तय उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर बैन है, यह किसी के साथ भेदभाव नहीं है और न ही जेंडर विभेद का मामला है।
कौन हैं भगवान अयप्पा, क्या है इस मंदिर की विशेषता
पौराणिक कथाओं के अनुसार, अयप्पा को भगवान शिव और मोहिनी (विष्णु जी का एक रूप) का पुत्र माना जाता है। इनका एक नाम हरिहरपुत्र भी है। हरि यानी विष्णु और हर यानी शिव, इन्हीं दोनों भगवानों के नाम पर हरिहरपुत्र नाम पड़ा। इनके अलावा भगवान अयप्पा को अयप्पन, शास्ता, मणिकांता नाम से भी जाना जाता है। इनके दक्षिण भारत में कई मंदिर हैं उन्हीं में से एक प्रमुख मंदिर है सबरीमाला। इसे दक्षिण का तीर्थस्थल भी कहा जाता है।
सबरीमाला भारत के ऐसे कुछ मंदिरों में से है जिसमें सभी जातियों के स्त्री (10-50 उम्र से अलग) और पुरुष दर्शन कर सकते हैं। यहां आने वाले सभी लोग काले कपड़े पहनते हैं। यह रंग दुनिया की सारी खुशियों के त्याग को दिखाता है। इसके अलावा इसका मतलब यह भी होता है कि किसी भी जाति के होने के बाद भी अयप्पा के सामने सभी बराबर हैं।
माना जाता है कि 1500 साल पहले से इस मंदिर में महिलाओं का जाना वर्जित था। खासकर 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि इस मंदिर में पूजे जाने वाले भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी और तपस्वी थे।
हालांकि कुछ लोगों का कहना था कि मंदिर में 10 से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश न होने के पीछे कारण उनके पीरियड्स हैं।