अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली भाजपा व वर्तमान भाजपा में जमीन-आसमान का अंतर है। वर्तमान भाजपा नेतृत्व जाट समाज को न सिर्फ झूठे आश्वासन दे रही है बल्कि उनके साथ अन्याय व अत्याचार पर उतारू है। उन्होंने शुक्रवार को शामली में पत्रकारों से बात करते हुए उक्त टिप्पणी की।
मलिक ने कैराना के जाट मतदाताओं से अपील की कि वोट मांगने आने पर वे भाजपा के नेता या कार्यकर्ता से यह सवाल जरूर पूछें कि वे झूठ बोलना कब बंद करेंगे और उनकी मांगें कब तक पूरी होंगी। उन्होंने लोगों से भाजपा नेताओं से तीन मांगों को लेकर सवालों के जवाब पूछने के लिए भी कहा। उनकी तीन मांगें हैं उत्तर प्रदेश में गठित जाट आरक्षण के लिए कमेटी की रिपोर्ट कब तक आ जाएगी, जिससे जाटों का आरक्षण जारी रहे, जाटों को केंद्र में आरक्षण कब तक मिलेगा और हरियाणा के जाटों को कब न्याय मिलेगा।
मलिक ने कहा कि वर्ष 2014 में तत्कालीन सरकार द्वारा दिए गए जाट आरक्षण को 17 मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार द्वारा सही पैरवी नहीं करने पर जाट आरक्षण समाप्त कर दिया था। उसके बाद 26 मार्च 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा अपने आवास पर जाट सांसदों व जाट प्रतिनिधियों को यह विश्वास दिलाया गया था कि जाट समाज को जल्द ही कानून बनाकर आरक्षण दिया जाएगा।
हरियाणा में सरकार ने दर्ज कराए झूठे मुकदमे
उन्होंने आरोप लगाया कि इसी के साथ जब हरियाणा के जाटों का प्रदेश स्तर का आरक्षण भी समाप्त हो गया तब उन्होंने अपनी आवाज उठाई, जिसके जवाब में हरियाणा की भाजपा सरकार ने अपने सांसद राजकुमार सैनी द्वारा जाटों को गालियां दिलाई और अपने जाट मंत्रियों ओमप्रकाश धनकड़ व कैप्टन अभिमन्यु के रिश्तेदारों से आंदोलन कराकर जाटों पर गोलियां चलाने का काम किया और 2105 झूठे मुकदमे दर्ज कर लोगों को जेल में डाल दिया, जिसमें से आज भी सरकार के वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु द्वारा दायर केसों में पांच लोग जेल में बंद हैं। हरियाणा सरकार के साथ चार बार समझौता होने के बाद भी हरियाणा में न तो आरक्षण मिला और न ही सभी केस वापस हुए।
मलिक ने कहा कि 2017 के प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले जब अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति द्वारा हरियाणा के जाटों को न्याय व आरक्षण न मिलने पर जाट समाज से वोट ना देने की अपील की थी तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा चुनाव से दो दिन पहले सभी विधानसभा क्षेत्रों से जाट समाज के लोगों को बुलाकर वर्तमान में केंद्रीय मंत्री चौ. विरेन्द्र सिंह के निवास पर वादा किया था कि जाटों के साथ अन्याय नहीं होगा। उस बैठक में पूर्व मंत्री संजीव बालियान के साथ-साथ वर्तमान में भाजपा के अन्य जाट नेता भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि ठीक हरियाणा की तरह ही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी सही पैरवी न होने से इलाहाबाद हाइकोर्ट में शपथ पत्र देकर एक कमेटी का गठन कर राज्य में जाट आरक्षण भी प्रदेश सरकार लटका सकती है। केंद्र सरकार द्वारा पहला राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग भंग कर दिया और नए सामाजिक व शैक्षणिक पिछड़ा वर्ग आयोग को संसद में लटकाए बैठी है। ऐसी स्थिति में सरकार की अगर नीयत साफ है तो अध्यादेश ला सकती है।
अपनी नाराजगी भाजपा को दिखाए जाट समाजः जगतवीर सिरोही
इस मौके पर प्रदेष उपाध्यक्ष जगतवीर सिरोही ने कहा कि जाट समाज अपने सामाजिक मुद्दों पर अपनी नाराजगी भाजपा को दिखाए। उन्होंने कहा कि जाटों के वोट पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 20 लोकसभा सीटों पर निर्णायक है। जिन पर जाटों के बगैर भाजपा नहीं जीत सकती। उपचुनाव में भाजपा की हार में जाटों की जीत है क्योंकि इसके बाद भाजपा को समझ में आ जाएगा और उसके बाद भाजपा को जाटों की मांगों के साथ-साथ प्रदेश व केंद्र की सत्ता में भी जाट कार्यकर्ताओं को हिस्सेदारी देनी पड़ेगी।
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष सतेंद्र चिकारा ने कहा कि कई भाजपा नेताओं ने जाटों के महापुरुषों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की है पर पार्टी ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने सवाल किया कि क्या पार्टी की नीतियां जाट गैर जाट और हिंदू-मुस्लिम को लड़ाने की ही है। अगर इस तरह का बर्ताव जाट समाज के साथ किया जाता रहा तो जाट समाज को भी इन उपचुनाव में अपनी नाराजगी दिखा देनी चाहिए।
इस अवसर पर सहारनपुर के जिलाध्यक्ष चौ. चंद्रपाल सिंह ने बताया कि उपचुनाव की घोषणा के साथ ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश के अनुसार सभी गांवों का दौरा कर लोगों को जाट आरक्षण की वर्तमान स्थिति व हरियाणा में जाट समाज के ऊपर हो रहे अत्याचार व अन्याय के बारे में समाज के लोगों को बताया जा रहा है। राष्ट्रीय महासचिव बीएस अहलावत ने संगठन व समाज के अन्य लोगों को एकजुट रहने की अपील की।