लोकसभा चुनाव में अभी अंतिम चरण का मतदान होना बाकी है। और परिणाम के लिए तो 23 मई तक का इंतजार करना है। लेकिन लोकसभा चुनाव परिणाम आने से पहले, ही कर्नाटक के सत्तारूढ़ सहयोगी जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) और कांग्रेस मुख्यमंत्री के पद को लेकर युद्ध की स्थिति में आ गए हैं।
दक्षिणी के इस राज्य की 28 लोकसभा सीटों पर एक साल पुरानी साझा सरकार का फैसला पर टिका हुआ है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी फिर से सत्ता में आने की उम्मीद संजो रही है ताकि चुनाव का परिणाम आने के बाद यदि दोनों सहयोगी पार्टी में टूट होती है तो वे मौके का फायदा उठाकर सरकार बना लें।
कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी के नेता मधुसूदन का कहना है कि, "मई 2018 के विधानसभा चुनावों के बाद कट्टर प्रतिद्वंद्वियों ने हमें सत्ता से बाहर करने के लिए गठबंधन सरकार बनाई। लेकिन सत्ता को लेकर उनके मतभेद अब स्पष्ट दिख रहे हैं। दिलचस्प यह है कि जब उनकी सरकार का अस्तित्व ही दांव पर लगा हो, ऐसे में भी वे अगला मुख्यमंत्री कौन होना चाहिए इस पर बात कर रहे हैं।
हालांकि दोनों सहयोगी दलों ने संयुक्त रूप से संसदीय चुनावों में सभी 28 सीटों पर कॉमन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, 21 पर कांग्रेस और 7 सीटों पर जेडी-एस के उम्मीदवार, परिणाम के बाद उनकी गठबंधन सरकार के भाग्य का निर्धारण करेंगे।
लेकिन फिलहाल 19 मई को कुंडगोला और चिंचोली में होने वाले उप चुनाव के प्रचार के दौरान सोशल मीडिया पर कटाक्षों के आदान प्रदान बताता है कि कड़वाहट घुल चुकी है। उत्तर पश्चिम और उत्तरी क्षेत्र जहां से अगला मुख्यमंत्री होने की संभावना है जो कि वर्तमान मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी हैं।
चुनाव विश्लेषकों के अनुसार कुमारस्वामी सरकार का अस्तित्व इस बात पर निर्भर करता है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कैसा प्रदर्शन करती है। राज्य में भाजपा की सहयोगी या अलग से अधिक सीटें जीतने की स्थिति में, गठबंधन सरकार ध्वस्त हो जाएगी। और यदि कांग्रेस में दर्जन भर विद्रोही पार्टी से इस्तीफा दे देते हैं या अपनी विधानसभा सीटें छोड़ देते हैं तो मुसीबत बढ़ जाएगी।
एक नामित सदस्य सहित 225 सदस्यीय राज्य विधानसभा में, भाजपा के पास 104 सीटें हैं, कांग्रेस 77, जेडी-एस 37, बीएसपी और कर्नाटक प्रज्ञवन्था जनपथ पार्टी (केपीजेपी) दोनों के पास एक-एक सीट है। इसके साथ ही एक निर्दलीय और स्पीकर के साथ-साथ दो रिक्त सीटें हैं।
अगर कांग्रेस उपचुनाव में दो विधानसभा सीटों को बरकरार रखने में विफल रहती है, तो गठबंधन सरकार का अस्तित्व अपने विद्रोहियों की पार्टी में निर्भर करेगा। क्योंकि निचले सदन में साधारण बहुमत के लिए कुमारस्वामी के पास आधी (113) की तुलना में सिर्फ एक सीट (77 + 37 = 114) ज्यादा होगी।